आज इस व्रत में दान करने का भी है विशेष महत्व
व्रत से जुड़ी विशेष बातें
तिलकुंद चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान श्रीगणेश को धूप-दीप दिखाएं। फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं, पंचामृत से स्नान कराने के बाद तिल अथवा तिल-गुड़ से बनी वस्तुओं व लड्डुओं का भोग लगाएं। श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।पूजा के बाद ‘ॐ श्रीगणेशाय नम:’ का जाप 108 बार करें। शाम को कथा सुनने के बाद गणेशजी की आरती उतारें।इस दिन गर्म कपड़े, कंबल, कपड़े व तिल आदि का दान करें। इस प्रकार विधिवत भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती है।
क्या है मान्यता?: मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है। इस दिन तिल दान करने का महत्व होता है। इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है।