आपकी पूरी दुनिया बदल सक्ती है यह एक चमत्कारी शब्द
साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन जो भी ॐ का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ओम का उच्चारण करते रहना। तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर वंâ, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं। सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथियों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है। प्रात: उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वङ्काासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण ५, ७, १०, २१ बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ओ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ओम जप माला से भी कर सकते हैं।