February 24, 2025     Select Language
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महिलाओं में बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, लेकिन क्यों ?

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कोलकाता टाइम्स : 
र की चाहरदीवारी से बाहर कदम रखने के साथ भारतीय महिलाएं भले ही आज अपने हुनर एवं मेहनत से विभिन्न क्षेत्रों में अपनी जीत का जश्न मना रही हैं लेकिन उनका दिल हार रहा है।
ह्रदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कामकाज के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के कारण एक तरफ जहां महिलाएं आर्थिक, सामाजिक एवं पारिवारिक रूप से अधिक सक्षम हुई है लेकिन उनका दिल कमजोर पड़ गया है।
आज बदलती जीवन शैली और महिलाओं पर बढ़ते कामकाज के तनाव के कारण वह पहले की तुलना में तेजी से ह्रदय रोगों से घिर रही है और यही कारण है कि आज ह्रदय रोग महिलाओं के लिये पहले नम्बर का हत्यारा बन गया है।
जाने-माने ह्रदय रोग विशेषज्ञ, हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. पुरुषोत्तम लाल बताते हैं कि दिल की बीमारियां भारत जैसे विकसित देशों में महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण बन गई है।
महिलाओं को पहला दिल को दौरा पड़ने पर पुरुषों की तुलना में उनकी मौत होने की आशंका अधिक होती है और यदि वे बच भी जाती हैं तो उन्हें पुरुषों की तुलना में दूसरा दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है।
डॉ. लाल कहते हैं कि हर साल कोरोनरी धमनी रोगों सीएडी से पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मौत अधिक होती है, इसके बावजूद महिलाओं को पुरुषों के समान चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलती हैं।
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार कैंसर, तपेदिक, एचआईवीएडस और मलेरिया से जितनी महिलाओं की मौत होती है उससे अधिक महिलाओं की मौत ह्रदय वाहिका रोगों, सीवीडी से होती है। दरअसल ह्रदय रोग महिलाओं के लिए पहले नम्बर का हत्यारा है और यह हर मिनट एक महिला को मौत का ग्रास बनाता है। इसे ध्यान में रखते हुए इस साल विश्व ह्रदय रोग दिवस को महिलाओं एवं बच्चों पर केन्द्रित किया गया है और इसका उद्देश्य इस मिथ को दूर करना है कि ह्रदय रोग और स्ट्रोक मुख्य रूप से अधिक उम्र के पुरुषों को ही प्रभावित करते हैं।

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