November 23, 2024     Select Language
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सावधान : खतरनाक बीमारी का संकेत है शरीर में अचानक ये निशान 

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कोलकाता टाइम्स : 
गर बिना चोट लगे शरीर में नील जमने के न‍िशान दिखाए देने लगे तो ये चिंता करने की बात है। आइए जानते है बारे में शरीर में कब और कैसे नील के न‍िशान जमते है और क्‍या ये इसके पीछे वजह।

त्वचा पर चोट लगने के बाद रक्त धमनियों को नुकसान पहुंचने से नील जम जाती है। इस तरह की चोट से खून रिसता है और आसपास की कोशिकाओं में फैल जाता है, जिससे कि नील जैसा निशान पड़ जाता है। चोट लगने पर ये शरीर की एक तरह की प्रतिक्रिया होती है। मेडिकल टर्म में इस स्थिति को कन्टूशन (contusion) या भीतरी चोट कहा जाता है।
अक्‍सर आपने अपने घर में बड़े-बूढ़े लोगों के शरीर में नील जमने की स्थिति को देखा होगा। बुजुर्ग लोगों के हाथों के पीछे नील पड़ना एक सामान्य बात है। शरीर में दिखने वाले ये नील के निशान लाल रंग से शुरू होकर, पर्पल, और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं। इस प्रकार के निशान इसलिए पड़ते हैं क्योंकि रक्त धमनियां इतने साल सूरज की रोशनी का सामना करते हुए कमजोर हो जाती हैं।
शरीर में नील जमने का एक कारण ये अधिक एक्‍सरसाइज करना भी है। जो लोग जरुरत से ज्‍यादा एक्‍सरसाइज करते है जैसे वजन उठाना कई बार खुद को चोटिल भी कर देते है। जिसकी वजह से नील के न‍िशान शरीर में उभरकर आ जाते हैं।
कुछ विटामिन और मिनरल ब्लड क्लॉटिंग और जख्मों को भरने में खास भूमिका निभाते हैं। इनकी कमी होने से नील के निशान पड़े दिखाई दे सकते हैं। • विटामिन K – ये खून को जमने में मदद करता है इस विटामिन की कमी से सामान्य रक्त जमने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। • विटामिन C – कोलोजन और अन्य घटक जो त्वचा और रक्त धमनियों में अंदरूनी चोट लगने से बचाव करते हैं। इसलिए विटामिन सी की कमी से नील के निशान पड़ सकते हैं और चोट ठीक होने में अधिक समय भी लग सकता है। • मिनरल – ज़िंक और आयरन जैसे मिनरल्‍स चोट को सही करने के ल‍िए आवश्यक मिनरल होते हैं। आयरन की कमी से एनीमिया भी हो जाता है जिसे नील पड़ने का एक बड़ा कारण भी माना जाता है।
वॉन विलीब्रांड डिजीज एक ऐसी अवस्‍था है, जिसके होने पर शरीर में अत्यधिक रक्‍तस्राव होने लगता है। वॉन विलीब्रांड नामक प्रोटीन के स्‍तर में रक्त की कमी के कारण यह बीमारी होती है। ऐसे में चोट लगने के बाद बहुत अधिक खून बहने लगता है। इस समस्या से पीड़ित व्‍यक्ति को छोटी सी चोट के बाद भी अक्सर शरीर में बड़े-बड़े नील के निशान दिखाई देने लगते हैं।
अगर आपकी कीमोथेरेपी हो रही है और उसकी वजह से आपका ब्लड प्लेटलेट्स 400,000 से नीचे आ गया है, तो आपके शरीर में बार-बार इस तरह के नील के निशान दिख सकते हैं।
ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कि थ्रोंबोटिक थ्रोंबोसाइटोपेनिया पर्प्यूरा (टीटीपी) या आईडियोपेथिक थ्रोंबोसाइटोपेनिक पर्प्यूरा (आईटीपी) जिनमें कि प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, इनके कारण भी शरीर की ब्लड क्लॉट की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कि नील के निशान पड़ते हैं।
कई बार शरीर में नील आनुवांशिक कारणों के वजह से भी जम जाती है। इसका एक कारण कोलोजन विकार र्भी हो सकता है। इसकी एक वजह कोशिकाओंऔर रक्तधमनियां का कमजोर होना और आसानी से टूट जाना भी होता हैं। जिसके वजह से शरीर में कई जगह अत्यधिक निशान पड़ना, घाव देर से भरना, इंटरनल ब्लीडिंग या वक्त से पहले मृत्यू, भ्रूण को नुकसान आदि हैं।

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