ज्यादा हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल यानि बांझपन ही नहीं कैंसर को बुलावा
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कोलकाता टाइम्स :
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हैंड सैनिटाइजर हमारे काम में आने वाली घरेलू चीजों में से एक हो गया है। हम में से कई लोग है जो कहीं बाहर से आने पर तुरंत पानी से हाथ धोने की बजाय सीधे हैंड सैनिटाइजर से हाथ साफ करना पसंद करते हैं।
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके हाथों की हाइजीन का ध्यान रखने वाले सैनिटाइजर का ज्यादा इस्तेमाल करने से आप बीमार भी पड़ सकते हैं। जी हां, कई रिसर्च में भी ये बात साबित हो चुकी है कि सैनिटाइजर का ज्यादा इस्तेमाल न सिर्फ आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है बल्कि ये आपके फर्टिलिटी को भी प्रभावित कर सकता हैं। आइए जानते है कि कैसे हैंड सैनिटाइजर अधिक इस्तेमाल आपको धीरे-धीरे बीमार करता है।
बांझपन की समस्या : सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसान नामक एक केमिकल होता है, जिसे हाथ की त्वचा तुरंत सोख लेती है। अगर यह रक्त संचार में शामिल हो जाए, तो यह मांसपेशी को-ऑर्डिनेशन के लिए जरूरी सेल-कम्युनिकेशन को बाधित करता है। इसका लंबे समय तक ज्यादा इस्तेमाल त्वचा को सूखा बनाने, बांझपन और हृदय के रोग को न्योता दे सकता है। इसलिए अगर आपको हाथ धोने की जरूरत महसूस हो रही है, तो इंतजार कीजिए और मौका मिलते ही साबुन और पानी से ही अपने हाथों को धोइए।
कैंसर का खतरा :बिसफेनॉल ए एक प्रकार का रसायन है, जो कैंसर का भी कारक बन सकता है। हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल के तुरंत बाद बिसफेनॉल ए युक्त किसी चीज को छूने से उसके शरीर में घुसने की संभावना पूरी होती है।
इम्यूनिटी क्षमता करे प्रभावित: हैंड सैनिटाइजर से जुड़े एक शोध में ये बात सामने आ चुकी है कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों की इम्यूनिटी भी घटती है। शोध में शामिल बच्चों की यूरीन में इनफ्लेमेटरी तत्व सी-रिएक्टिव प्रोटीन पाया गया, जो इम्यूनिटी को कमजोर करता है। बड़ों को भी नुकसान करता है।
बच्चों के लिए नुकसानदायक: बच्चों क त्वचा काफी कोमल होती है। ऐसे में ट्राइक्लोसान से उनकी त्वचा रूखी हो सकती है। सैनिटाइजर में एल्कोहल की मात्रा मौजूद होती है जो बच्चों की त्वचा के संपर्क में आकर बहुत नुकसानदायक साबित हो सकती है।
खुश्बू जहरीली : सैंनिटाइजर में महक बढ़ाने के लिए फैथलेट्स नामक रसायन का उपयोग किया जाता है जो एक हानिकारक रसायन है। इस रसायन का प्रसाधनों में महक बढ़ाने का काम करते हैं। कई प्रसाधन निर्मित कंपनिया सस्ते प्रसाधनों में इस रसायन का अधिक इस्तेमाल करती हैं। ऐसे प्रसाधनों को लगातार इस्तेमाल करने से लिवर, किडनी, फेफड़े तथा प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचाता हैं। कभी-कभी गुण सूत्रों की संरचना भी प्रभावित होती है।
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