यहां अवॉर्शन होने पर महिलाओं को मिलती है खौफनाक सजा
कोलकाता टाइम्स:
लैटिन अमेरिकी राष्ट्र में करीब 60 लाख लोग रहते हैं। लेकिन वहा सिर्एल सेल्वाडोर एक ऐसा देश है, जहां गर्भपात हर परिस्थिति में गैरकानूनी है। वहां प्रजनन संबंधी अधिकारों के लिए अभी भी काफी रुढ़िवादी कानूनों के लिए जाना जाता है।
ताजा मामला वहां रहने वाली वाली मारिया टेरेसा रिवेरा नाम की महिला का है, जिसे अकाल गर्भपात के अपराध के लिए 40 साल के जेल की सजा दी गई थी। मारिया पर गर्भपात कराने और हत्या करने के आरोप लगे थे। लेकिन इस मामले को जज ने इस आधार पर फैसले को पलट दिया कि इसके लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे।
करीब 5 साल भीड़भरी जेल में बिताने के बाद आखिरकार वह अपने बेटे ऑस्कर से मिल पाई। जेल में रहने के दौरान वह कभी भी परिवार के सदस्यों से नहीं मिली थी। अपने बेटे को गले लगाने के बाद उसने कहा कि वो खुश है कि अपने बेटे के साथ है। लेकिन डर भी है, क्योंकि जो हुआ है, उसके लिए पूरा समाज इसके लिए तैयार नहीं होगा।
इस महीने की शुरुआत में आए एक फैसला से दुनिया भर के उन कार्यकर्ताओं को थोड़ी राहत मिली, जो कि गर्भपात की ऐसी सजा के खिलाफ मुहिम चलाते हैं। दरअसल, साल 1998 से पहले गर्भपात की मंजूरी बलात्कार, पारिवारिक व्यभिचार के मामलों में थी। अगर भ्रूण घायल होता या महिला की जान खतरे में होती। लेकिन इसी साल धार्मिक कट्टरपंथियों के दबाव में आकर कानून में बदलाव किया गया। साथ ही सभी अपवादों को हटा दिया गया।
ऐसा अनुमान है कि 1998 से 2013 के बीच में 600 से ज्यादा महिलाओं को जेल में डाला गया है। इन सभी पर गर्भपात का आरोप लगा। इसी कानून के तहत ही मारिया को भी 40 साल जेल की सज़ा दी गई थी। 33 साल मारिया के मामले ने कार्यकर्ताओं का ध्यान उस सच्चाई की तरफ खींचा है, क्योंकि उन्होंने इसे महिलाओं के शरीर पर नियंत्रण से लड़ाई के तौर पर उजागर किया जा रहा है।