कूड़ा बेचने वालों ने इसे बना दिया है भारत का सबसे साफ-सुथरा शहर
मैसूर को यूं ही भारत का सबसे साफ-सुथरा शहर नहीं घोषित किया गया है। सच में, इस शहर के नागरिक अपने शहर को स्वच्छ बनाने के लक्ष्य में अपना भी योगदान देते हैं। इसी कड़ी में बात करते है मैसूर शहर के कुंबर कोप्पल की।
कुंबर कोप्पल में नागरिक कार्यकर्ता जीरो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की देखरेख करते हैं। यहां तक कि मैसूर के इस छोटे से कसबे में कईयों के लिए कूड़ा-कचरा ही कमाई का साधन है।
कुंबर कोप्पल में हर रोज पांच टन कचरे से खाद तैयार किया जाता है। कस्बे के नागरिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी के साथ, सूखे और गीले कचरे को सरल प्रक्रिया से अलग-अलग जमा कर, कचरे का 95 फीसद बेच दिया जाता है।
हर सुबह करीबन 200 घरों से कूड़ा-कचरा इकट्ठा कर गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग जमा किया जाता है। फिर उसे वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में भेजा जाता है। कई दिनों के ट्रीटमेंट के बाद गीले कचरे को कंपोस्ट में बदल दिया जाता है, जिसे किसानों को उर्वरक के रूप में बेचा जाता है। वहीं, सूखे कचरे जैसे प्लास्टिक और ग्लास आदि को जमा कर उसे भी बेच दिया जाता है।
इस तरह से कचरे को बेचकर होने वाली कमाई को साफ सफाई अभियान में लगे लोगों को दिया जाता है। इन साफ सफाई कार्यकर्ताओं को आवास और स्वास्थ्य सुविधाएं भी दी जाती है। साथ ही इस कमाई का एक हिस्सा जीरो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की देखरेख के लिए लगाया जाता है।
सबसे बड़ी बात है कि मैसूर के निवासी शहर की सफाई का खुद से ही ध्यान रखते हैं, जिस कारण मैसूर का नाम सबसे स्वच्छ शहरों में आता है।