10 साल इस बात से परेशान पति-पत्नी अंधेरे घर में रहे बंद
कोलकाता टाइम्स :
करोड़ों रुपए का कारोबार, आलीशान फ्लैट और पति-पत्नी को डेली कॉलेज की डिग्रियां, लेकिन हालत मजदूरों से भी गई गुजरी। न घर में लाइट, न टीवी, न फ्रिज और न ही इनके बच्चे कभी स्कूल की चौखट चढ़े। चारों तरफ सन्नाटा, शक और डर का माहौल। यह किसी हॉरर फिल्म की स्टोरी नहीं, बल्कि स्नेहलतागंज में रहने वाले बड़जात्या परिवार के घर के हालात थे।
फॉली ए फैमिली और शेयर्ड सायकोसिस नाम की मनोवैज्ञानिक बीमारी से पीड़ित अंकुर बड़जात्या (बदला हुआ नाम) का परिवार 10 साल बाद अब घर से बाहर निकला और एक बार फिर सामान्य जिंदगी जीने की कोशिश कर रहा है। यह सब उसकी मां के कारण संभव होने जा रहा है।
समय रहते ध्यान नहीं देने से पति-पत्नी के साथ पूरा परिवार इस बीमारी की चपेट में आ गया। अंकुर के तीन बच्चे हैं। बड़ी बेटी 9 साल की है। 7 और एक साल के बेटे हैं। दस साल से बेटे, बहू व पोते-पोतियों की इस बीमारी की पीड़ा झेल रही अंकुर की मां वीणा बड़जात्या एक मनोचिकित्सक की मदद से सभी को ठीक करने की कोशिश में जुटी हैं।
वीणा के मुताबिक, हमारा मार्बल्स का काफी बड़ा कारोबार है। बेटे की शादी के बाद सबकुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन दस साल पहले उसके स्वभाव में बदलाव दिखने लगा। गुस्सा, शक, चिड़चिड़ापन और कामकाज पर ध्यान नहीं देना सहनशक्ति के बाहर हो गया तो मैं भी पास में अलग रहने लगी। धीरे-धीरे उससे संपर्क खत्म होने लगा।
वीणा के मुताबिक, वह हर चीज से डरने लगा था। बार-बार कहता था कि वो मुझे मार देंगे। टीवी, फ्रिज, मशीनें, ट्यूबलाइट सभी तोड़-फोड़ दिए। घर की सारी वायरिंग तोड़ दी। इस बीच तीन बच्चे हुए, लेकिन वह पत्नी को लेकर कब अस्पताल गया और आया, इसकी भनक किसी को नहीं थी। बच्चे भी बंद घर में अंदर ही रहते थे। मां खाना भेजती थी तो दरवाजा खोलकर खाना अंदर लेते और फिर बंद करके रहने लगते। तीन साल से अंकुर नहाया भी नहीं था। वीणा के अनुसार- वह परिवार पर भूत-प्रेत का साया समझकर तंत्र-मंत्र पूजा-पाठ पर लाखों रुपए खर्च कर चुकी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।