सच है : सालों पहले सांपों को भी होते थे हाथ-पैर
कोलकाता टाइम्स :
करीब दस करोड़ साल पहले सांपों को भी हाथ-पैर होते थे। जैविक संरचनाओं में बदलाव के कारण ये धीरे-धीरे गायब हो गए।
अमेरिका में लॉरेंस बर्कले नेशनल प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है। प्रयोगशाला के एक्सेल विसेल और उनकी टीम का शोध इस बारे में “सेल” जर्नल में छपा है। इसमें कहा गया है कि सांपों के डीएनए की संरचना में क्षमता वाला वह हिस्सा ही धीरे-धीरे गायब हो गया जो हाथ-पैरों के विकास में मदद करता। विसेल के मुताबिक, “डीएनए का यह क्रम सांपों में टूट गया।”
चूहों में सांपों के डीएनए डाले गए। देखा गया कि इनके जितने छोटे पैर होते हैं, उनसे भी छोटे पैर निकले। विसेल का कहना है कि जैविक विकास के क्रम में सांपों में हाथ-पैर बढ़ने देने की विशेषता वाले जीन संभवतः गायब होते गए। इसीलिए रेंगने वाले कुछ अन्य जंतुओं की तरह उनमें पैर नहीं होते।
अजगर जैसे सांपों में पैर तो होते हैं लेकिन वे अल्पविकसित होते हैं। छोटे पैरों वाली उनकी हड्डियां उनकी मांसपेशियां में दब गई हैं। नाग और करैत जैसे सांपों में यह भी नहीं होता। वैज्ञानिकों ने विभिन्न सांपों में डीएनए के क्रम को भी समझा और चूहों पर अलग-अलग प्रयोग कर इस नतीजे पर पहुंचे।
चूहों पर आदमी की डीएनए विशेषताओं वाले प्रयोग भी किए गए। आदमी का जीन समूह डाले जाने पर भी चूहों में सामान्य ढंग से पैर निकले। मछलियों के जीन समूह का भी चूहों पर प्रयोग किया गया। मछलियों में गलफड़े होते हैं और उनकी जैविक संरचना पैर विकसित होने से अलग है। लेकिन इस प्रयोग के दौरान भी चूहों में पैर सामान्य ढंग से विकसित हुए।