इस ब्याज के लालच में 2 साल से गरीबों का पेट भर रही रोटी बैंक
कोलकाता टाइम्स :
एक ऐसा बैंक जहाँ कुछ जमा नहीं करना पड़ता बल्कि सिर्फ मिलता है। हालाँकि बैंक चलने वालों को भी कुछ मिलता है। दुवाओं का ब्याज। हर दिन ना जाने कितने भूखे पेट की आग बुझती है बैंक। जिनके दिल से निकली दुआ हर धन-दौलत से परे है। रोटी बैंक। जैसा नाम वैसा काम। श्रीगंगानगर में कोडा चौक के पास एक ऐसी बैंक चलती है, जिसमें भूखे लोगों के लिए रोटियां एकत्रित की जाती हैं। फिर उन्हें गरीबों और जरूरतमंद लोगों को खिलाया जाता है।
पिछले दो साल से चल रहे इस ‘बैंक’ का उद्देश्य है- किसी को भूखा न सोना पड़े! इस बैंक की टाइमिंग है दोपहर 12 से दो बजे तक। कोई भी आकर रोटी जमा कर सकता है और कोई भी आकर ले सकता है।
रोटी बैंक के संचालक सोनू अनेजा का कहना है कि रोटी बैंक की शुरुआत मजदूरों को देख कर हुई। कोडा चौक पर सुबह मजदूर जुटते हैं और जिन मजदूरों को काम नहीं मिलता, वे भूखे प्यासे अपने घरों को लौट जाते थे, इन्हीं मजदूरों के लिए उन्होंने अपने चार मित्रों से बात की और घर से टिफिन लाने शुरू किए। शुरू में दस से पंद्रह टिफिन लाते थे और अब धीरे-धीरे यह संख्या साढ़े तीन सौ तक पहुंच गई है।
रोटी बैंक के पास ही एक ढाबा भी है और ख़ास बात यह है कि ढाबा संचालक भी प्रतिदिन रोटी बैंक में निशुल्क भोजन की सेवा करते हैं. जब उनसे पूछा गया कि निशुल्क सेवा करने से उन्हें नुक्सान नहीं होता तो उन्होंने कहा की उन्हें कोई नुक्सान नहीं बल्कि व्यापार में फायदा हो रहा है. जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने से उन्हें दुआएं मिल रही हैं और व्यापार बढ़ रहा है.