सुप्रीम कोर्ट ने माना हर व्यक्त्वि को सन्मान से मरने का अधिकार
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न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु की वसीयत को अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति को सम्मान के साथ मौत का अधिकार है। कोर्ट ने अपने आदेश में सुरक्षा उपाय की गाइड लाइन भी जारी की।
11 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने पैसिव यूथेनेशिया यानि इच्छा-मृत्यु की याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था । कोर्ट ने माना कि शांति से मौत का अधिकार संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का हिस्सा है । हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इच्छा-मृत्यु की वसीयत मेडिकल बोर्ड के निष्कर्ष पर निर्भर करेगी कि जीवन बचाया जा सकता है कि नहीं । कोर्ट ने कहा था कि अगर मेडिकल बोर्ड ये प्रमाणित करता है कि एक व्यक्ति बिना आर्टिफिशियल सपोर्ट के जिंदा नहीं रह सकता तभी इच्छा-मृत्यु की वसीयत स्वीकार की जा सकती है ।
याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि हम इच्छामृत्यु की वसीयत लिखने की अनुमति नहीं दे सकते हैं लेकिन मेडिकल बोर्ड के निर्देश पर मरणासन्न के सपोर्ट हटाए जा सकते हैं । सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि अगर मौत के सम्मान को स्वीकार किया गया है तो मौत की प्रक्रिया के सम्मान को स्वीकार क्यों नहीं किया जा सकता है । संविधान बेंच ने पूछा कि क्या किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के खिलाफ आर्टिफिशियल लाइफ सिस्टम के जरिये जिंदा रखा जा सकता है ।