शुक्रवार को करें ये व्रत नहीं होगी किसी चीज की कमी

विधि
सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफ़ाई इत्यादि पूर्ण कर लें।
स्नानादि के पश्चात घर में किसी सुन्दर व पवित्र जगह पर माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
माता संतोषी के सम्मुख एक कलश जल भर कर रखें। कलश के ऊपर एक कटोरा भर कर गुड़ व चना रखें।
माता के समक्ष एक घी का दीपक जलाएं।
माता को अक्षत, फूल, सुगन्धित गंध, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें।
माता संतोषी को गुड़ व चने का भोग लगाएँ।
संतोषी माता की जय बोलकर माता की कथा आरम्भ करें।
इस व्रत को करने वाला कथा कहते व सुनते समय हाथ में गुड़ और भुने चने रखें।
कथा की समाप्ति के पश्चात्त श्रद्धापूर्वक सपरिवार आरती करें।
कथा व आरती के पश्चात्त हाथ का गुड़ व चना गौमाता को खिलाएं, तथा कलश पर रखा हुआ गुड़ चना सभी को प्रसाद के रुप में बांट दें।
कलश के जल का पूरे घर में छिड़काव करें और बचा हुआ जल तुलसी की क्यारी में ड़ाल दें।
इस प्रकार विधि पूर्वक श्रद्धा और प्रेम से प्रसन्न होकर 16 शुक्रवार तक नियमित उपवास रखें। शीघ्र विवाह की कामना, व्यवसाय व शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी और मनोवांछित फ़लों की प्राप्ति के लिए महिला व पुरुष दोनों की एक समान यह व्रत धारण कर सकते हैं ।
विशेष सावधानीः इस दिन न तो खट्टी वस्तु खाएं और न ही स्पर्श करें।
इस दिन केवल व्रतधारी के लिए ही नहीं अपितु परिवार के हरेक सदस्य के लिए खट्टी वस्तु वर्जित मानी गयी गई है। इसलिए घर में खट्टी वस्तु बननी ही नहीं चाहिए। खट्टी वस्तु का यहाँ तक प्रयोग वर्जित माना गया है कि पूजा व घर में खट्टे फ़लों को भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। परिवार में ही नहीं अपितु किसी बाहरी व्यक्ति को भी इस दिन खट्टी वस्तु नहीं देना चाहिए।
उद्यापनः 16 शुक्रवार का व्रत करने के बाद, अंतिम शुक्रवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए। इसके लिए उपरोक्त विधि से माता संतोषी की पूजा कर 8 लड़कों को भोजन के लिए आमंत्रित करें। अढ़ाई सेर आटे का खाजा, अढ़ाई सेर चावल की खीर तथा अढ़ाई सेर चने के साग का भोजन पकाना चाहिए। यह भोजन बालकों को बहुत ही श्रद्धा व प्यार से कराएं, तथा केले का प्रसाद दें। भोजन के पश्चात उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा दें। दक्षिणा में उन्हें पैसे न देकर कोई वस्तु दक्षिणा में दे कर विदा करें। इस प्रकार विधि-विधान से पूजन करने से माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों के दुःख दारिद्रय को दूर कर, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।