10 साल तक लड़का बनी रही लड़की, वजह कर देगी हैरान
कोलकाता टाइम्स :
आप ने कभी ना कभी टीवी सीरियल या फिल्मों में ऐसी कहानी जरूर देखी होगी जिसमें एक लड़की या लड़का अपना वेश बदल कर समाज के बीच रहता है। ऐसी ही एक रियल लाइफ की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसमें एक लड़की 10 साल तक लड़का बन कर लोगों के बीच रही और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
जी हां, हम बात कर रहे हैं सितारा वफादार नाम की एक अफगान लड़की की जिसने दस वर्ष तक लड़के के वेश में रह कर अपनी जिंदगी दी। दरअसल, सितारा की पांच बहनें हैं और कोई भाई नहीं है। सितारा के माता पिता को बेटे की बहुत चाह थी लेकिन उनकी यह मुराद पूरी ना हो सकी। बेटे की चाह में उन्होंने सितारा को ही अपने बेटे के रूप में मान लिया।
सितारा वफादार के परिवार ने एक दशक से अधिक समय तक लड़के के वेश में रखा। बता दें कि, अफगानिस्तान में ‘बाशा पोशी’ नाम की एक परंपरा होती है जिसके तहत किसी लड़की को लड़के के वेश में रखा जाता है जो पितृ प्रधान समाज वाले देश में परिवार में बेटे की भूमिका निभाती है। अफगानिस्तान की इसी परंपरा का शिकार सितारा को भी होना पड़ा और उसे मजबूरन लड़का बन के रहना पड़ा।
सितारा अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार स्थित एक गांव में फूंस के एक घर में रहती है। 18 वर्षीय सितारा ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं एक लड़की हूं। उसने कहा, मेरे पिता हमेशा कहते हैं कि सितारा मेरे बड़े बेटे की तरह है। कभी-कभी मैं उनके बड़े बेटे का फर्ज निभाते हुए अंत्येष्टि कार्यक्रमों में भी जाती हूं।
हालांकि, ज्यादातर लड़कियां तरुणायी शुरू होने पर लड़के की वेश-भूषा रखना बंद कर देती हैं। जबकि कुछ लड़कियां लड़कों की तरह ही आजाद रहने के लिए ऐसा करना जारी रखती हैं। सितारा ने कहा कि उसने तरुणायी में पहुंचने के बाद भी पुरुषों जैसे वस्त्र पहनने जारी रखे, ताकि वह खुद की हिफाजत कर सके।
बता दें कि, सितारा और उसके पिता बंधुआ मजदूर के तौर पर एक ईंट भट्ठे पर काम करते हैं और परिवार का पेट पालते हैं। वह एक दिन में करीब 500 ईंट बनाती है जिसके बदले उसे करीब दो डॉलर मिलते हैं। काबुल विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्राध्यापक बरयालई फितरत ने बताया कि बाशा पोशी परंपरा का पालन मुख्य रूप से अफगानिस्तान के पुरातनपंथी क्षेत्रों में किया जाता है।