यहां हर साल भक्तों को स्वयं अपना दर्शन देने आती है मां दुर्गा
इंसान मां दुर्गा के दर्शन के लिए कहां-कहां नहीं जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हैं। आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मां दुर्गा स्वयं अपने दर्शन देने के लिए आती है। जी हां हम बात कर रहे हैं धनबाद मंडल कारागार की।
यहां मां अंबे खुद आकर भक्तों को दर्शन देती हैं। धनबाद मंडन कारागार में वर्षों पुरानी परम्परा है। जेल में मां की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और फिर विसर्जन से पहले उसे बंदियों की बैरक तक घुमाया जाता है। जेल में पूरे नौ दिन मां की आराधना होती है। बंदी भजन गाते हैं और कीर्तन करते हैं।
सुरक्षाकर्मी और जेल अधिकारी बंदियों को प्रसाद खिलाते हैं। प्रतिमा स्थापित करने से पहले जेलकर्मी प्रतिमा को सबसे अंदर वार्ड तक ले जाते हैं। यहां के बंदी इस तरह ही मां के दर्शन करते हैं। इसके बाद प्रतिमा को वार्ड के बाहर प्रांगण में स्थापित कर दिया जाता है।
आपको बता दें कि धनबाद मंडल कारागार में होने वाले दुर्गोत्सव के मुख्य यजमान कक्षपाल होते हैं। कक्षपाल उमेश सिंह बताते हैं कि वह नौ दिन तक फलाहार पर रहते हैं। सभी नौ दिन दुर्गोत्सव रहता है। विजयदशमी को मां की प्रतिमा को विदाई दी जाती है। विदाई के वक्त बंदी फूट-फूट कर रोते हैं। यह दस दिन का आयोजन बंदी, जेलकर्मी और सुरक्षाकर्मियों के सहयोग से पूरा होता है।
कक्षपाल ने बताया कि पूजा के बाद प्रतिदिन बंदियों को खिचड़ी और खीर का प्रसाद बांटा जाता है। अष्टमी और नवमी को विशेष भोज का आयोजन होता है। मां के चढ़े प्रसाद में से बंदियों को खीर, पूड़ी, सब्जी और अन्य व्यंजन परोसे जाते हैं। फिलहाल धनबाद जेल में 800 बंदी हैं।
जेलर अनिमेश चौधरी कहते हैं इस समय पूरे जेल में दुर्गोत्सव का माहौल है। कई बंदियों ने नवरात्र का व्रत रखा है। पूरे दिन भजन.कीर्तन का दौर चल रहा है। अन्य समुदाय के बंदी भी व्रत कर रहे सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं। पूजा के दौरान यहां अलग ही माहौल हो जाता है।