कांटेदार पौधे से ब्रेन ट्यूमर के उपचार भी संभव
कोलकाता टाइम्स :
भटकटैया एक छोटा कांटेदार पौधा जिसके पत्तों पर भी कांटे होते हैं। इसके फूल नीले रंग के होते हैं और कच्चे फल हरित रंग के लेकिन पकने के बाद पीले रंग के हो जाते हैं। बीज छोटे और चिकने होते हैं। भटकटैया की जड़ औषध के रूप में काम आती है यह पेट के अलावा कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं में उपयोगी होती है।
आइए इसके स्वास्थ्य गुणों की जानकारी लेते हैं।
1-भटकटैया का पौधा ब्रेन ट्यूमर के उपचार मे सहायक होता है। वैज्ञानिक के अनुसार पौधे का सार तत्व मस्तिष्क में ट्यूमर द्वारा होने वाले कुशिंग बीमारी के लक्षणों से राहत दिलाता है। मस्तिष्क में पिट्युटरी ग्रंथि में ट्यूमर की वजह से कुशिंग बीमारी होती है। कांटेदार पौधे भटकटैया के दुग्ध युक्त बीज में सिलिबिनिन नामक प्रमुख एक्टिव पदार्थ पाया जाता है, जिसका इसका उपयोग ट्यूमर के उपचार में किया जाता हैं।
2-भटकटैया अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में भटकटैया की जड़ का काढ़ा या इसके पत्तों का रस 2 से 5 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम रोगी को देने से अस्थमा ठीक हो जाता है. या भटकटैया के पंचांग को छाया में सुखाकर और फिर पीसकर छान लें। अब इस चूर्ण को 4 से 6 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे 6 ग्राम शहद में मिलाकर चांटे। इस प्रकार दोनों समय सेवन करते रहने से अस्थमा में बहुत लाभ होता है।
3-भटकटैया दर्दनाशक गुण से युक्त औषधि है। दर्द दूर करने के लिए 20 से 40 मिलीलीटर भटकटैया की जड़ का काढ़ा या पत्ते का रस चौथाई से 5 मिलीलीटर सुबह शाम सेवन करने से शरीर का दर्द कम होता है। साथ ही यह अर्थराइटिस में होने वाले दर्द में भी लाभकारी होता है।