दंग रह जायेंगे जान, जब भगवान राम ने दिया था हनुमान को मृत्युदंड
कोलकाता टाइम्स :
हिन्दू घर्म के महान ग्रन्थ रामायण मे सब जानते है भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी थे, परन्तु फिर ऐसा क्या हुआ की भगवान राम ने हनुमान जी को मृत्यु दंड दिया और जब हनुमान जी मत्यु को प्राप्त नहीं हुए तो उन पर ब्रह्मास्त्र चलाया, आइये जानते है क्या हुआ था की भगवान राम को उनके सबसे प्रिय भक्त को मृत्युदंड देना पड़ा।
श्री राम जब अयोध्या के राजा बने तो नारद मुनि ने हनुमान जी से ऋषि विश्वामित्र के सिवाय सभी साधुओं और ऋषियों से मिलने को कहा क्योंकि विश्वामित्र कभी महान राजा हुआ करते थे। हनुमान ने इसका पालन किया लेकिन इससे विश्वामित्र को कोई फर्क नहीं पड़ा। तब कपट से नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और उन्हें हनुमान के खिलाफ भड़काया। इसके बाद विश्वामित्र हनुमान पर बेहद गुस्सा हो गए और उन्होंने भगवान श्रीराम से हनुमान जी को मौत की सजा देने के लिए कहा। राम अपने गुरु विश्वामित्र की बात टाल नहीं सकते थे इसी कारण उन्होंने हनुमान जी को मृत्युदंड दिया…
मृत्युदंड देने के बाद भगवान राम ने हनुमान जी पर बाण चलाए लेकिन हनुमान राम का नाम जपते रहे और उनको कुछ नहीं हुआ। भगवान श्री राम को अपने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा का पालन करना ही था इसलिए श्रीराम ने हनुमान पर बह्रमास्त्र चलाया। आश्चर्यजनक रूप से राम नाम का जप कर रहे हनुमान जी का ब्रह्मास्त्र भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया। यह सब देखकर नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और अपनी भूल स्वीकार की।
ऐसा कहा जाता है की एक बार जब हनुमान जी ने माता सीता को मांग मैं सिंदूर लगाते हुए देखा तो हनुमान जी ने इसका कारण पूछा। तब सीता मां ने उन्हें बताया कि इससे भगवान राम की आयु बढ़ेगी। जब हनुमान ने यह सुना तो उन्होंने सोचा कि जब मांग में सिंदूर भरने से भगवान राम की आयु बढ़ती है तो क्यों न पूरे शरीर में ही सिंदूर लगा लिया जाए। और तब से हनुमान जी पुरे शरीर पर सिंदूर लगाते है और व्ही प्रथा चली आ रही है और आज भी हनुमान जी की मूर्ति को सिंदूर लगाया जाता है।
श्री राम का अपने भक्त हनुमान से युद्ध भी हुआ था। भगवान राम के गुरु विश्वामित्र के निर्देशानुसार भगवान राम को राजा ययाति को मारना था। राजा ययाति ने हनुमान से शरण मांगी। हनुमान ने राजा ययाति को वचन दे दिया। हनुमान ने किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाए भगवान राम का नाम जपना शुरू कर दिया। राम ने जितने भी बाण चलाए सब बेअसर रहे। विश्वामित्र हनुमान की श्रद्धाभक्ति देखकर हैरान रह गए और भगवान राम को इस धर्मसंकट से मुक्ति दिलाई।