केला, दूध और गेहूं से ही यह देवता क्यों संतुष्ट होते हैं
कोलकाता टाइम्स :
सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा श्री सत्यनारायण का पूजन महीने में एक बार पूर्णिमा या संक्रांति को किया जाना चाहिए। सत्यनारायण का पूजन जीवन में सत्य के महत्तव को बतलाता है। इस दिन स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें। माथे पर तिलक लगाएं।विष्य पुराण में बताया गया है कि कलियुग में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला कोई व्रत और कथा है तो वह है श्री सत्यनारायण का व्रत और कथा। यही कारण है कि कोई भी शुभ काम में सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। इनकी पूजा में सबसे महत्वपूर्ण तीन चीज है केला, दूध और गेहूं का बूरा। यह तीनों प्रसाद रूप में सत्यनारायण भगवान को अर्पित किया जाता ह व्यवहारिक दृष्टि से देखें तो हर मौसम में आसानी से उपलब्ध होने के कारण केला सत्यनारायण भगवान की पूजा में शामिल किया जाता है।
जबकि धार्मिक दृष्टि से देखने पर यह मालूम होता है कि केला बहुत ही शुद्ध फल है। जिस प्रकार भगवान विष्णु अयोनिज हैं यानि किसी के गर्भ से नहीं उत्पन्न हुए उसी प्रकार केले का फल भी बीज से उत्पन्न नहीं होता है। यह कोंपल से फूटता है और फली के अंदर कई महीनों तक पलता और बढ़ता।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस पर गुरु ग्रह का प्रभाव होता है जो विष्णु स्वरूप ही हैं इसलिए केले का फल सत्यनारायण भगवान को पसंद है।भगवान विष्णु को दूध बहुत ही अधिक पसंद है इसलिए उनका निवास भी क्षीर सागर में है यानी ऐसा सागर जो दूध से बना है। सत्यनारायण भगवान की पूजा में शालिग्राम की पूजा होती है जिन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। दूध और केले को मिलाकर महान भोग बनाया जाता है। व्यवहारिक दृष्टि से भी दूध शुद्ध और सात्विक माना जाता है केला और दूध का सेवन शक्ति और बलदायक होता है। इस वजह से श्री सत्यनारायण की पूजा में दूध प्रसाद रूप में चढ़ता है।
भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में चावल का प्रयोग नहीं होता है इसका उदाहरण है कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता है। विष्णु भगवान को तिल चढ़ता है चावल नहीं। गेहूं को कनक कहा जाता है यानी यह स्वर्ण के समान है। गेहूं का दान सोने के दान का फल देता है। यह विष्णु स्वरूप है इसलिए सत्यनारायण की पूजा प्रसाद के रूप में चढ़ता है।