January 19, 2025     Select Language
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जानवरों से इंसानी बीमारी का इलाज

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कोलकाता टाइम्स :

वैसे हमारी बीमारी का तो डॉक्टर्स ही लगा पाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा कोई जानवर या कबूतर, चूहा, कुत्ता और गाय भी आपकी बीमारी का पता लगा सकते हैं। नहीं सोचा होगा शायद। लेकिन ये सच है। जी हाँ, जानवरों में काबिलियत होती है कि वो आपकी बीमारी का पता लगा सके। पर शायद ही कोई इन जानवरों से मदद लेना चाहेगा।

दरअसल, जानवरों के पास इंसान की बीमारी पहचानने और उसके उपचार का हुनर होता है। इसलिए न चाहते हुए भी इंसानों को इन्हें अहमियत देनी पड़ रही है।

* कबूतर का दिमाग़ इंसान की उंगलि से बड़ा नहीं होता, लेकिन उसकी नज़र और संवेदन क्षमता काफ़ी प्रभावी होती है। हाल ही में पता चला है कि प्रशिक्षित कबूतर ‘रेडियोलॉजिस्ट’ की तरह ‘स्तन कैंसर’ पहचान सकते हैं। कबूतर की तरह तीन और जानवर हैं ऐसे हैं जिनके इलाज से इंसान की बीमारी पर प्रभाव पड़ सकता है।

* चूहा ‘उच्च संवेदनशील डिटेक्टर’ की तरह काम कर सकता है और बीमार की ज़िंदगी बचा सकता है। चूहे की नाक के अंदर सूंघने के लिए अलग-अलग तरह के करीब ‘1000 रिसेप्टर’ होते हैं जो तेज़ से तेज़ गंध सूंघ सकते हैं। इसीलिए ‘मोज़ांबीक़’ में चूहों का इस्तेमाल ‘टीबी’ का पता लगाने के लिए हो रहा है। ये चूहे आकार में बिल्ली के बच्चे जितने होते हैं। हालाँकि इस पर अध्ययन अभी चल रहा है। यहां प्रशिक्षित चूहे इंसानी बलग़म के नूमनों में टीबी के बैक्टीरिया से पैदा होने वाली गंध पहचान सकते हैं। इसे पहचानने पर ये चूहे रुककर अपने पैर रगड़ने लगते हैं जिससे पता चल जाता है कि बलग़म टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित है।

* कुत्ते तो इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते ही हैं। हाल ही में कुत्तों के मिर्गी के दौरे को भांपने की क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इनके पास असाधारण क्षमता है जिससे ये दौरा पड़ने से ठीक पहले स्थिति भांप जाते हैं। ये कुत्ते अपने मालिक को मिर्गी का दौरा आने से पहले संकेत देते हैं। ये लगातार 15 से 45 मिनट तक किसी के पैर पर ठोकर मारते हैं।

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