इसी दिन पूजे पर गलती से भी शनिवार को ना समझे इनका जन्म
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा किए जाने के पीछे कोई कथा नहीं है, बल्कि कुंडली में उनके स्थान से इसका संबंध है। होरा शास्त्र के अनुसार, कुंडली में शनि के सप्तम भाव में होने के कारण सप्ताह का सातवां दिन उनको समर्पित कर दिया गया। इस कारण से जिन पर शनि का प्रभाव होता है, वे शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को उनकी पूजा करते हैं। (सप्ताह का पहला दिन रविवार होता है, इस गणना के अनुसार, शनिवार सप्ताह का सातवां दिन है।)
शनिदेव विधि शास्त्र के ज्ञाता हैं, इसलिए इनको न्याय का देवता कहा जाता है। इनका एक नाम मंदवार भी है। नौ ग्रहों में शनिदेव सबसे मंद गति से परिक्रमा करते हैं। वह 10 घंटे 14 मिनट में एक धूरी पर एक चक्र पूरा करते हैं, इनकी चाल काफी मंद है, इसलिए इनका नाम मंदवार भी है। यह पश्चिम दिशा के अधिपति हैं।
सोमवार को हुआ शनिदेव का जन्म
शनिदेव का जब जन्म हुआ था, उस दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या थी और दिन सोमवार था यानी कि शनिदेव का जन्म सोमवती अमावस्या के दिन हुआ था। इसलिए शनिदेव का जन्म शनिवार के दिन होने की भूल न करें।