इस ‘दुनिया का अंत’ के आगे कोरोना कुछ भी नहीं
कोलकाता टाइम्स :
इसे डूम्सडे बम यानी दुनिया का अंत कर देने वाला बम कहकर बुलाया जा रहा है। क्योंकि इसकी मारन सक्षमता 10 हज़ार किलोमीटर तक है। इस बम को रूस ने तैयार किया है। जिसे दुनिया का सबसे बड़ा बम कहा जा रहा है।
मिरर यूके की खबर के मुताबिक रूस के इस नए बम को डूम्सडे बम यानी दुनिया का अंत कर देने वाला बम कहकर बुलाया जा रहा है। ये न्यूक्लियर पावर से लैस एक स्किफ मिसाइल के जरिए लॉन्च किया जा सकता है। इसे सिंथेटिक रेडियोएक्टिव एलिमेंट कोबाल्ट-60 से बनाया गया है और ये समुद्र या फिर ज़मीन जहां भी इस्तेमाल किया जाएगा वहां तबाही लाने में सक्षम है।
ये 6000 मील तक मार कर सकता है और 60 मील प्रति/घंटा की रफ़्तार से अपने निशाने की तरफ बढ़ता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर इसे अमेरिका के आस-पास कहीं समुद्र में भी गिराया जाता है तो ये न सिर्फ सभी जहाजों को तबाह करेगा बल्कि अमेरिकन कोस्ट से ब्रिटिश आइलैंड तक के समुद्र के पानी को जहरीला भी बना देगा।
रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस बम को समुद्र की गहराई में ले जाकर विस्फोट किया जाता है तो बेहद खतरनाक साबित होगा। 25 मीटर व्यास याला और 100 टन वजन वाला ये बम समुद्र की गहराई में 3000 फीट तक ले जाकर छुपाया जा सकता है और ये कई सालों तक ऐसा ही रहेगा, जब भी चाहो विस्फोट किया जा सकता है।
बीती फरवरी में जब इसकी तस्वीरें सामने आयीं थी तो जानकारों ने इसे समुद्र में सुनामी पैदा करने के लिए रूस का बनाया पोसाइडन’ बम समझा था। इस बम को पोसाइडन का ही कोई अपडेट वर्जन मन जा रहा था लेकिन इसकी नई तस्वीरें आने के बाद साफ हो गया है कि ये स्किफ ही है। पोसाइडन 2015 में बनाया गया एक बम था को सुनामी के जरिए समुद्र तट पर मौजूद शहरों को तबाह करने की क्षमता रखता है।