कोरोना ने बदल डाला ‘काला कोट’ वाले 73 साल का इतिहास
कोलकाता टाइम्स :
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक औपचारिक अधिसूचना के माध्यम से वकीलों से कहा है कि वे कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अगले आदेश तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कोट और लंबे गाउन न पहनें। कोरोना ने न्यायपालिका को भी कामकाज के तरीके के साथ ड्रेस कोड बदलने पर मजबूर कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार बुधवार को जजों ने बिना जैकेट, कोट और गाउन पहने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में व्हाट्सएप पेमेंट सर्विस को पूरी तरह बंद करने के मामले पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई चल रही थी। मुख्य न्यायाधीश बोबडे और जस्टिस ऋषिकेश राय जैकेट, कोट और गाउन के बिना केवल सफेद शर्ट और गले का बैंड पहनकर सुनवाई कर रहे थे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पूछा कि पीठ ने गाउन क्यों नहीं पहना है तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर चिकित्सकों की राय मांगी थी। उनके मुताबिक भारी और फैलाव वाले कपड़ों से यह वायरस आसानी से फैलता है। इसीलिए हम केवल सफेद शर्ट और बैंड पहनकर ही सुनवाई कर रहे हैं।
आजादी के बाद न्यायपालिका में पहली बार ऐसा बदलाव हो रहा है। इसके बाद एक अन्य सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी सफेद शर्ट और बैंड लगाए नजर आए।
शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल एस कालगांवकर द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, मेडिकल परामर्श को ध्यान में रखते हुए सभी को सूचित किया जाता है कि मौजूदा हालात में कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के एहतियाती उपाय के रूप में सक्षम प्राधिकारी ने निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सफेद बैंड के साथ सादी सफेद पैंट/सफेद सलवार-कमीज/साड़ी पहन सकते हैं।