एकबार फिर बिता ‘आखरी दिन’, फिर भी लोग सहमे
कोलकाता टाइम्स :
एक बार फिर दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणी गलत साबित हुई। पौराणिक माया कैलेंडर के हिसाब से 21 जून, 2020 दुनिया का आखिरी दिन था, लेकिन इसके बाद भी सबकुछ पहले जैसा ही है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब माया कैलेंडर की भविष्यवाणी गलत निकली है, इससे पहले 2012 में भी ऐसा हो चुका है। लेकिन इसके बाद भी दुनिया सहमा ही है। वजह है कोरोना।
कोरोना संकट के बीच माया कैलेंडर की दुनिया खत्म होने की भविष्यवाणी ने लोगों को चिंता में डाल दिया था। जिस तरह से कोरोना वायरस पूरे विश्व को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, उसे देखते हुए भविष्यवाणी के सच होने की आशंकाओं ने जन्म ले लिए लिया था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
माया कैलेंडर 1582 में अस्तित्व में आया और इससे पहले विभिन्न कैलेंडर इस्तेमाल किये जाते थे। उस दौर में दो सबसे लोकप्रिय कैलेंडर थे माया और जूलियन। हालांकि, आज पूरी दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर उपयोग किया जाता है।
वैज्ञानिक Paolo Tagaloguin ने सोशल मीडिया पर थ्योरी को समझाने प्रयास किया था। उन्होंने लिखा था, ‘जूलियन कैलेंडर के हिसाब से हम तकनीकी रूप से 2012 में हैं. दरअसल, जूलियन से ग्रेगोरियन कैलेंडर में आने के दौरान एक साल में हमने 11 दिन खोए। इस तरह देखें तो ग्रेगोरियन कैलेंडर के इस्तेमाल (1752-2020) के 268 वर्षों में 11 दिन = 2,948 दिन. 2,948 दिन/ 365 दिन (प्रति वर्ष) = 8 वर्ष’. इस थ्योरी के हिसाब से 21 जून, 2020 वास्तव में 21 दिसंबर, 2012 है। हालांकि, बाद में उन्होंने इस पोस्ट को हटा दिया।गौरतलब है कि इससे पहले 21 दिसंबर, 2012 को दुनिया के समाप्त होने की भविष्यवाणी की गई थी।