एक श्राप से आज तक सूनी है इस वंश की सभी मांओं की गोद
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देश में जनतंत्र लागू हुए कई साल बीत चुके हैं. पर आज भी कुछ राजवंश ऐसे हैं जो अपनी पुरानी सियासत की पहचान बनाए हुए हैं. आजकल कुछ गिने-चुने राजवंशी रह गए हैं जिनका रहन-सहन आज भी रॉयल है. राजवंशों में एक मैसूर राजघराना भी है. जिसका इतिहास वाडियार वंश से शुरू होता है. 1399 राजशाही परंपरा को निभाने वाला यह राजवंश सबसे पुराना माना जाता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 5 दशक से यानी 1612 के बाद इस राजघराने को चलाने वाले किसी भी वंश का जन्म महारानी के गर्भ से नहीं हुआ है. इस वंश को दत्तक पुत्र ही आगे चलाते आ रहे हैं. मैसूर राजघराने के मौजूदा राजा जगबीर सिंह को महारानी प्रमोद देवी ने गोद लिया था. इस वंश में संतान ना होने का कारण एक अभिशाप है.
बताया जाता है कि 1612 में दक्षिण के सबसे शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया था. ग्वालियर के राजा ने विजयनगर की सारी संपत्ति लूट ली थी. इस दुख को सहन न कर पाने के कारण विजयनगर की तत्कालीन महारानी अलमेलम्मा एकांतवास में चली गई थी. एकांतवास में जाते वक्त उनके पास बहुत सारा सोना चांदी, हीरे मोती थे. जब इस बात की भनक वाडियार के राजा को लगी तो उन्होंने अपना दूत महारानी के पास भेजा और उनसे ज़ेवरों की मांग की. उन्होंने कहा कि यह संपत्ति वाडियार साम्राज्य की शाही संपत्ति का हिस्सा है.
महारानी के मना करने के बाद भी फौज ने उनसे जबरदस्ती करने की कोशिश की. तब महारानी अलमेलम्मा ने श्राप दिया कि जिस तरह तुम लोगों ने मेरा घर उजाड़ा है, उसी तरह तुम्हारा वंश भी वीरान हो जाएगा. इस वंश की गोद हमेशा सूनी रहेगी. इस श्राप को देने के बाद महारानी ने नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली. तबसे इस वंश में किसी भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ. अपने राजवंश की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए गोद लिए पुत्रों को ही राजा बनाया जाने लगा.