कैसे एक क्रिकेट अधिनायक बन गया पत्थर तोड़ने वाला मजदुर
कोलकाता टाइम्स :
दुनिया भर में कोरोना के चलते अपनों को खोने की संख्या गिनती के बहार है। सिर्फ जीवन ही नहीं पेट पर भी इसका असर कई गुना है। लोगों की जहां नौकरियां हाथ से चलीं गईं तो वहीं बड़ी तादात में लोग बेरोज़गार हो गए। एक ऐसे ही शख्स हैं जिनकी जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतर गई है लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। कभी भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान रहे राजेंद्र सिंह धामी आज मजदूरी करके अपने जीवन का गुज़ारा करने को मजबूर हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में रहने वाले राजेंद्र पहले व्हीलचेयर क्रिकेट टीम का नेतृत्व कर चुके हैं, लेकिन इस वक्त वह मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) के तहत मज़दूरी कर के अपना पेट पाल रहे हैं।