क्या आप भी एक सफल तांत्रिक बनना चाहते है
कोलकाता टाइम्स :
क्या आप भी एक सफल तांत्रिक बनना चाहते है ? तो आप इस बात को समझ ले कि तंत्र साधना हमेशा एक योग्य गुरु के सान्निध्य में ही करना चाहिए. तंत्र साधना मौत का दूसरा नाम है क्योकि तंत्र के ज्ञाताओं के अनुसार तंत्र में मृत्यु को टालने का साहस होता है, तंत्र साधना में ज़रा सी भी भूल आपको मृत्यु के निकट पहुंचा सकती है.
इस लेख का उद्देश्य तंत्र साधनाओ की मनोकामना रखने वालो को भयभीत करना नहीं है, भारत देश में अयोग्य गुरु के सान्निध्य में तथा गुरु के बिना तंत्र साधना करने वालो में से कुछ ही साधक सफल होते है, और असफल साधक को रोग, अनिद्रा, हर समय भटकती आत्माओ की उपस्थिति का एहसास, ग्रहदशा में दोष, एवं रोज़गार, विवाह, संतान सुख, आदि सुखो से वंचित होना पड़ता है, इतना ही नहीं जीवन के अंतिम समय में अल्पायु होकर वह साधक अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है .
तंत्र शास्त्र के अनुसार तंत्र के स्वामी महादेव शिव है. शिव जी ने अपनी पत्नी सती को आत्मसाक्षात्कार कराने हेतु तंत्र शिक्षा प्रदान की, जिससे उन्हें आदि शक्ति महाकाली का आत्मसाक्षात्कार हो सके, जिसके लिए उन्होंने अपने स्वामी के रूप में गुरु के स्वरुप के सान्निध्य में तंत्र का अभ्यास किया और अपनी आत्मा में विलीन त्रिदेवियों में से एक रौद्ररूपी महाकाली का आत्मसाक्षात्कार किया. अगर आप भी तंत्र साधना में सफल होना चाहते है तो आप एक योग्य गुरु के सान्निध्य में जिन्हे तंत्र, मंत्र, यन्त्र तथा कुंडलिनी का ज्ञान हो ,अभ्यास तथा सिद्धियां प्राप्त कर सकते है.
पार्वती जी ने जब तंत्र के बीज मंत्र ‘हं, ह्रीं, ह्रुं,’ जिसके अभ्यास के बिना कोई भी साधक सफल नहीं हो सकता, के अभ्यास के दौरान शिव जी से पूछा कि जिन मनुष्यों को गुरुओं को अभाव होगा वह इस साधना को कैसे सिद्ध करेंगे, तब शिव जी ने कहा कि- जो मनुष्य अघोरत्व अपनाएंगे में उनका गुरु बनकर मार्गदर्शन करूंगा तथा जो व्यक्ति भक्त(सामान्य या गृहस्थ), पंडित, पुजारी, अथवा तांत्रिक जीवनशैली को अपनाएंगे उनका नेतृत्व और मार्गदर्शन तुम स्वयं महाकाली बनकर करोगी.
तंत्र शास्त्र के अनुसार जो भी तंत्र साधना को सिद्ध या सिद्ध तांत्रिक बनकर लोककल्याण तथा स्वयं का कल्याण करना चाहते है वो महाकाली की साधना पूर्ण श्रद्धा, समर्पण अथवा दृढ़ संकल्प लेकर करे, और याद रहें कि इन साधनाओ में भय और अविश्वास मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु होते है. तंत्र साधनाओ में सफल होकर मनुष्य स्तंभन, उच्चाटन, वशीकरण, मोहन, तथा मारण आदि सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है.