ऑक्सीजन की कमी होने पर सिर्फ फेफड़ा ही नहीं इस अंग से भी ले सकते हैं साँस, जानवरों पर सफल है प्रयोग
कोलकाता टाइम्स :
जापान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा दावा किया है, जो सुनने में थोड़ा अजीब है लेकिन कारगर हो सकता है। वैज्ञानिकों की रिसर्च टीम का कहना है कि स्तनधारियों के लिए गुदा से भी ऑक्सीजन लेना संभव है और आपात स्थिति में मनुष्य पर भी यह लागू हो सकता है। रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि आपात स्थिति में कुछ समुद्री जीव अपनी आंतों से सांस लेते हैं। टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चूहों और सूअरों पर भी जब यह प्रयोग किया, तो उसके नतीजे भी सकारात्मक मिले।
यह शोध मेड जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि स्तनधारियों की तरह उन मनुष्यों पर भी यह लागू हो सकता है, जिनके श्वसन तंत्र में दिक्कत हो और वेंटिलेटर्स कम हों या अपर्याप्त हों। अधिकांश जानवर और मनुष्य फेफड़ों के इस्तेमाल से ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं, लेकिन कुछ प्रजातियों में वैकल्पिक वेंटिलेटर जैसा तंत्र होता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि लोचे, कैटफिश, सी-क्यूकम्बर और एक प्रकार की मकड़ी आपात स्थिति में गुदा से ऑक्सीजन ले सकती है। इसे एक्सटर्नल वेटिलेशन वाया एनस या EVA कहा जाता है. शोध के मुख्य लेखक रोयो ओकाबे ने कहा, ‘गुदा में लाइनिंग सतह के नीचे खून की नसें होती हैं, इसका अर्थ है कि गुदा के जरिए दवा देने पर यह सीधे रक्त प्रवाह तक पहुंच जाती है। हालाँकि इस तरह की तैयारी मानवों के लिए अस्वीकार्य होगी, इसलिए वैज्ञानिकों ने ऑक्सीजन युक्त पेरफ्लूरोडेकेलिन, एक लिक्विड जो कि सुरक्षित है, का प्रयोग किया।