मौत सामने देख शरीर का यह हिस्सा क्या करता है जानते हैं
अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि इस आधार पर इंसानों की बेहोशी की हालत को समझा जा सकता है।ये नया शोध ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल ऐकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित हुआ है।
इस अध्ययन की मुख्य शोधकर्ता मिशिगन विश्वविद्यालय की डॉक्टर जिमो ब्रॉजिगिन का कहना है, “बहुत से लोग सोचते हैं कि क्लिनिकल डेथ यानी मेडिकल आधार पर मृत मान लिए गए लोगों का मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है, या फिर उसकी गतिविधियाँ जागृत अवस्था से कम होती हैं लेकिन हम ये दिखा सकते हैं कि ऐसा कतई नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अगर कुछ है भी तो वो ये है कि मस्तिष्क जागृत अवस्था की तुलना में मरने की प्रक्रिया के दौरान ज्यादा सक्रिय है।” मौत को करीब से देखने का दावा करने वाले कई लोग बताते हैं कि उन्होंने आंखों में तेज सफेद रोशनी देखी और शरीर की हरकत को खत्म होते महसूस किया।
हालांकि इंसानों पर न सिर्फ इस तरह का अध्ययन बल्कि इसे समझ पाना भी बेहद चुनौतीपूर्ण है। मौत के अनुभव को परखने और ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए मिशिगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उन नौ चूहों पर नजर रखी, जो मर रहे थे।
वैज्ञानिकों ने चूहों के दिल की धड़कन बंद होने के बाद 30 सेकेंड की अवधि में मस्तिष्क की उच्च आवृत्ति की तरंगों में बढ़ोत्तरी को मापा। इस अध्ययन में पाया गया कि चूहों में जागृत अवस्था की तुलना में दिल का दौरा पड़ने के बाद की अवस्था में बिजली की तरंगों की गति का स्तर कहीं ज्यादा था।
डॉक्टर जिमो ब्रॉजिगिन कहती हैं कि संभव है कि इसी तरह की चीज इंसान के मस्तिष्क के साथ भी हो और मानव मस्तिष्क की बढ़ी हुई गतिविधियां और चेतना का ऊंचा स्तर मौत के करीब पहुंचे लोगों में सपने को जन्म दे सकता है। उन्होंने कहा कि दिमाग में न्यूरॉन्स मौत होते समय अति सक्रिय हो सकते हैं।
डॉक्टर ब्रॉजिगिन कहती हैं, “ये विश्लेषण मौत को समझने का आधार बन सकता है। हो सकता है कि जो लोग चमकदार रोशनी देखते हैं उसकी वजह शायद मस्तिष्क का अति सक्रिय हो जाना हो। हमारे पास इस तरह के साक्ष्य हैं जो संकेत देते हैं कि ऐसा हो सकता है क्योंकि हमने पाया है कि गामा तरंगों में बढ़ोत्तरी मस्तिष्क के उस हिस्से में हो रही है जो कि आंख में देखने के लिए चित्र बनाता है।”
हालांकि शोधकर्ता कहती हैं कि नतीजों की पुष्टि करने के लिए उन लोगों पर अध्ययन करना होगा जिन्हें ‘क्लिनिकल डेथ’ का अनुभव हो और बाद में वे फिर से ठीक हो गए हों।