माचिस की एक तिल्ली कई खुशियां का खजाना
धूपदान, दीपदान करने के बाद माचिस की तीली को फूंक मारकर बुझाना उन्हें जूठा या अपवित्र करने के समान है। ऐसा करने से घर में दरिद्रता आती है और लक्ष्मी कभी ऐसे घर की ओर रूख नहीं करती। शास्त्रों के अनुसार इसे अपराध माना गया है। प्रकृति पांच तत्वों से बनी है (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश) सनातन धर्म के अनुसार इन सभी को देव तुल्य मान पूजन किया जाता है। जिन्हें देव मानकर पूजा जाता है उनको फूंक मार कर अपमान करना भला कहां तक उचित है।
अग्नि के तेज से सभी कुछ पवित्र होता है। माना जाता है कि देवताअों को समर्पित वस्तुएं अग्नि में डालने से उन तक पहुंच जाती है। कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं माना जाता जब तक कि इसका ग्रहण देवता न कर लें। किंतु देवता ऐसा ग्रहण तभी कर सकते हैं जब अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अर्पण किया जाए। अग्नि को देवताओं का मुख कहा गया है।
ऋग्वेद, यजुर्वेद आदि वैदिक ग्रंथों में अग्नि की महत्ता पर कई सूक्तों की रचनाएं हुई हैं। देवताअों को भोग लगाने के पश्चात ही यज्ञ को पूर्ण माना जाता है। भोग में मीठा होना जरुरी होता है तभी देवता संतुष्ट होते हैं।