चीन में अरबपतियों के साथ किया ऐसा काम कि लग गया 148 लाख करोड़ का चुना
सरकार कड़े नियम बना रही है और मौजूदा नियमों को और और सख्ती से लागू किया जा रहा है. इसकी वजह से देश की कई बड़ी कंपनियों पर नियंत्रण लगा है.
शी की मुहिम उसके दायरे और महत्वकांक्षी के हिसाब महत्वपूर्ण है. टेक्नोलॉजी दिग्गज अलीबाबा की सहायक अकंपनी एंट ग्रुप के आईपीओ पर रोक के साथ 2020 में इसकी शुरुआत हुई थी. एंट ग्रुप दुनिया की सबसे वैल्युएबल फिनटेक कंपनी है और यह अपनी वैल्युएशन 250 अरब डॉलर तक ले जाना चाहती है. पूंजीपतियों पर सख्त तेवरों के साथ देश में निर्मम तानाशाही का दौर जारी है.
शी के अभियान से कई जोखिम जुड़े हैं. रियल स्टेट दिग्गज कंपनी एवरग्रांड पर 300 बिलियन डॉलर से ज्यादा की देनदारी है. प्रॉपर्टी कारोबारियों ने 207 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले रखा है. चीन की जीडीपी में संपत्ति कारोबार और उद्योग की हिस्सेदारी 30% है. संपत्ति कारोबारियों की आधी फंडिंग लोगों द्वारा अधूरे प्रोजेक्ट में लगाए गए पैसे से है.
कड़ी कार्रवाई की वजह से बिजनेस करना मुश्किल और कम फायदेमंद है. जिन टेक कंपनियों के खिलाफ सरकार ने कठोर कदम उठाएं हैं, वे अपनी स्थिति बेहतर बनाने के लिए सरकार को नकद पैसा दे रही है.