शहर है बीमारी की कुंजी
कोलकाता टाइम्स
नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (NSSO) की ओर से किए गए सर्वे में ये सामने आया है कि भारत के ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरों में लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं। 15 दिनों तक किए गए इस सर्वे में पता चला कि गांवों में प्रति 1000 लोगों में से 89 लोग बीमार पड़े जबकि शहरों में ये आंकड़ा 118 पाया गया।
एलोपैथी को लेकर लोगों में भरोसा :इस सर्वे में एक और बात भी सामने आई कि देश में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने का जिम्मा प्राइवेट सेक्टर पर है। देश के नागरिक 70 फीसदी स्वास्थ्य सेवाएं प्राइवेट सेक्टर से लेते हैं।
एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है वो ये कि शहरी और ग्रामीण जनसंख्या का 90 फीसदी भाग एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को अपनाता है। ये हाल तब है जबकि अन्य चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार में एक अलग विभाग बनाया गया है।
स्वास्थ्य होता नजरअंदाज : अगर अस्पताल में भर्ती होने की बात करें तो सर्वे में सामने आया है कि एक साल के भीतर शहरों में रहने वाले 4.4 फीसदी लोग अस्पताल में भर्ती हुए. जबकि ग्रामीण इलाकों में एक साल के भीतर केवल 3.5 फीसदी लोग अस्पताल में भर्ती हुए।
ये काफी हैरानी की बात है कि 86 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या और 82 प्रतिशत शहरी जनसंख्या किसी सरकार के स्वास्थ्य संबंधी खर्च से जुड़ी योजना का हिस्सा नहीं हैं।