November 23, 2024     Select Language
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बेशर्म चीन नहीं बख्श रहा खुद के घर भी, ऐसा लॉकडाउन किभूख-बीमारी से घुट-घुटकर मरने पर मजबूर

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कोलकाता टाइम्स : 

चीन में सरकारी तानाशाही ऐसी जगह पहुँच गयी है कि लोग घुट-घुट  कर मर रहे। अस्पतालों में संक्रमितों के अलावा किसी को कोई इलाज नहीं मिल रहा। किसी को हार्ट अटैक आया तो वो अस्पताल आया, लेकिन इलाज नहीं मिला और वहीं दम तोड़ दिया। प्रेग्नेंट महिला डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंची, तो उसको भी रिसीव नहीं किया। उसके बच्चे ने कोख में ही दम तोड़ दिया। वहीं, सख्ती के चलते कुछ लोग तो भूख से मर रहे हैं।

शियान शहर में तो लॉकडाउन जानलेवा साबित हो रहा है। यहां एक शख्स सीने में दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा। वो दर्द से कराहता रहा, लेकिन हॉस्पिटल के स्टाफ ने उसे एडमिट करने से इनकार कर दिया। वह अस्पताल के दरवाजे पर दर्द से तड़पता रहा और स्टाफ देखता रहा। कुछ देर में उसकी मौत हो गई। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वो उस इलाके का रहने वाला था, जिसे कोविड की मीडियम रिस्क कैटेगरी में रखा गया था।

एक महिला को 8 महीने का गर्भ था। लेबर पेन हुआ तो अस्पताल पहुंची। डॉक्टर्स ने उसे बताया कि उसकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट वैलिड यानी मान्य नहीं है। उसी वक्त महिला को ब्लीडिंग शुरू हो गई। महिला की जान तो जैसे-तैसे बच गई, लेकिन बच्चे ने कोख में ही दम तोड़ दिया। ऐसी अनगिनत कहानियां हैं।लॉकडाउन में एक युवक के पास पेट भरने को कुछ नहीं था। भूख ने उसे पाबंदियों की जंजीरें तोड़ने पर मजबूर कर दिया। वो सड़क पर पहुंचा और वहां मौजूद पुलिस से खाने के लिए कुछ मांगा। बदले में दो पुलिसवालों ने उसे मार-मारकर अधमरा कर दिया। दिसंबर के आखिरी हफ्ते से यही हालात हैं। शियान में 1 करोड़ 30 लाख लोग घरों में बंद हैं। ज्यादातर के पास पेट भरने के लिए कुछ नहीं है। बच्चों को दूध और बुजुर्गों को दवा तक मुहैया नहीं।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार जीरो कोविड इन्फेक्शन की पॉलिसी पर चल रही है। इसके लिए जितनी सख्ती की जा सकती है, उतनी तमाम बेशर्मी से की जा रही है। कोविड रोकना जरूरी है, लोग भले ही भूख और दूसरी परेशानियों से मर जाएं। सख्ती के लिए हजारों कर्मचारी और सुरक्षाबल कंट्रोल रूम से लेकर सड़कों तक तैनात हैं। सवाल करने का हक तो चीन में पहले भी नहीं था, अब तो इसकी रत्तीभर भी गुंजाइश नहीं। वुहान से तो कुछ कहानियां भी सामने आईं थीं, शियान से कुछ सामने नहीं आता। एक सरकारी प्रोपेगंडा चलाया जा रहा है- सब ठीक है, कोरोना काबू में है।

जिस बच्ची के पिता की अस्पताल के दरवाजे पर हार्टअटैक से मौत हुई, उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर दर्द बयां करना चाहा। सरकार ने अकाउंट ही ब्लॉक कर दिया। अब लोग कोविड के अलावा दूसरी बीमारियों से ज्यादा मर रहे हैं। वे वाज उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन शी जिनपिंग सरकार इन्हें बेरहमी से दबा देती है। वुहान में तो कोविड से अनगिनत मौतें हुईं थीं, शियान में तो सिर्फ तीन लोगों ने दम तोड़ा है। यहां 95% एडल्ट्स फुली वैक्सीनेटेड हैं। इसके बावजूद लोगों पर रहम नहीं किया जा रहा। लोग घुट-घुटकर मरने पर मजबूर हैं। 45 हजार लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है।

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