सावधान : स्किन पर एक-दो नहीं पूरे इतने घंटों तक पलता है ओमीक्रॉन
कोलकाता टाइम्स :
कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट दुनिया में तेजी से क्यों फैल रहा है. इस मुद्दे पर अब जापान के Kyoto Prefectural University of Medicine की रिसर्च सामने आई हैं.
रिसर्च के मुताबिक, ओमिक्रॉन वेरिएंट स्किन के ऊपर लगभग 21 घंटो तक जीवित रह सकता है. वही प्लास्टिक सर्फेस पर यह वेरिएंट 193 घंटों से ज्यादा एक्टिव रह सकता है. अपनी इन दोनों खूबियों के चलते यह वेरिएंट कोरोना के बाकी वेरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक बन जाता है. यही वजह है कि कोरोना के किसी और वेरिएंट की तुलना में यह वेरिएंट ज्यादा तेजी के साथ दुनिया में फैल रहा है.
रिसर्च के अनुसार, कोरोना वायरस का अधिक समय तक सतह पर जिंदा रहना उसके तेज़ी से फैलने में अहम भूमिका निभाता है. स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना वायरस का ओरिजनल स्ट्रेन प्लास्टिक की सतहों पर 56 घंटे, अल्फा स्ट्रेन 191.3 घंटे, बीटा 156.6 घंटे, गामा 59.3 घंटे और डेल्टा वेरिएंट 114 घंटे तक जीवित रहने में सक्षम था.
वहीं, कोरोना वायरस का लेटेस्ट वेरिएंट ओमिक्रॉन 193.5 घंटे तक जीवित रह सकता है. अगर स्किन पर वायरस जीवित रहने की बात करें तो कोरोना का ओरिजनल स्ट्रेन 8.6 घंटे, अल्फा वेरिएंट 19.6 घंटे, बीटा वेरिएंट 19.1 घंटे, गामा 11 घंटे, डेल्टा 16.8 घंटा और ओमिक्रॉन वेरिएंट 21.1 घंटे तक जीवित रह सकता है.