माँ किस के भाग है
सलिल सरोज
आप ही सिपहसालार और आप ही सिहाग* हैं
फिर कौन है दूसरा , जिस ने लगाई ये आग है 1
हमें समझाने आते हैं सब लोग बारी- बारी
जो देखते नहीं, अपने गिरेबाँ में कितने दाग हैं 2
चाँदनी उतरा करती थी जहाँ पूरे शबाब पे
वो नदियाँ अब उल्टियाँ करती हुई झाग हैं 3
वो परिंदा बहुत खुश था अपना घोसला बना के
जिसे पता नहीं था सैयाद की गिरफ़्त में बाग़ है 4
यहाँ ना तो तूफ़ान हैं , ना ही अंधेरों का राज़ है
अब देखना है कि किस के हाथ में चराग़ है 5
घर का बँटवारा हुआ और बराबर हिस्सा मिला
अब मसअला ये है कि माँ किस के भाग है 6