टुटा यूक्रैन इन अहम सैनिकों का हौंसला, 83 दिनों के लड़ाई के के किया रूसी फौज के सामने सरेंडर
दूसरी वजह ये थी कि रूस यूक्रेन के पूर्वी इलाके, जिसे डोनबास कहा जाता है. उसे यूक्रेन से कर देना चाहता है. इन दोनों इलाकों तक अपनी समुद्र के रास्ते फौज भेजने के लिए बंदरगाह शहर मारियुपोल अहम गेटवे था. इसलिए इस पर पूरी तरह कब्जा किए रूसी सेना सुगमता से आगे नहीं बढ़ सकती थी.
तीसरी वजह ये थे कि मारियुपोल के जरिए ही यूक्रेन समुद्री व्यापार करता था और यहीं से उसकी नेवी ऑपरेट करती थी. इस शहर पर संपूर्ण कब्जे से यूक्रेन के हाथों से समुद्री व्यापार और नेवी के संचालन का रास्ता लगभग बंद हो गया है.
इन तीनों कारणों की वजह से रूसी सेना पिछले 3 महीने से मारियुपोल पर ताबड़तोड़ हमला बोल रही थी. भारी भरकम हथियारों और सैनिकों की अधिक तादाद के चलते रूसी फौजों ने शहर के बड़े हिस्से को जीत लिया था. लेकिन शहर के बाहर करीब 11 किलोमीटर इलाके में फैला स्टील प्लांट उसके लिए मुसीबत बना हुआ था. इस इलाके में सोवियत काल की दर्जनों सुरंगे बनी हुई हैं. जिनमें छिपकर यूक्रेनी सैनिक अपना बचाव और रूसी फौजों पर हमला कर रहे थे.