November 23, 2024     Select Language
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चौंका देगा दीवाली की सुबह अभ्यंग स्‍नान के फायदे

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कोलकाता टाइम्स :
दिवाली पर आपके माता-पिता ने आपको अभ्यंग स्नान के लिए कभी न कभी सुबह जल्दी जगाया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं इस स्‍नान का महत्व? इसे पवित्र स्नान के रूप में भी जाना जाता है, अभ्यंग स्नान एक तरह का अनुष्ठान है जिसमें पूरे शरीर की मालिश करना जरुरी होता है। और कुछ क्षेत्रों में हर्बल साबुन के रूप में एक विशेष आयुर्वेदिक मिश्रण का उपयोग किया जाता है। पश्चिमी भारत में, यह मिश्रण उबटन नामक विभिन्न जड़ी-बूटियों और मसालों से बनाकर तैयार क‍िया जाता है, जबकि दक्षिणी भारत में इसमें बेसन, तेल और चंदन पाउडर होता है।
अभ्यंग स्नान के स्वास्थ्य लाभ 
नरक चतुर्दशी की सुबह किया जाने वाला एक अनुष्ठान, अभ्यंग स्नान आपको कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। दीपावली में नहाने से पहले तिल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करनी चाहिए। क्योंकि दिवाली सर्दियों के दौरान मनाई जाती है, तिल के तेल का उपयोग करने से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है और इससे आपके शरीर को स्‍वस्‍थ रहने में मदद मि‍लती है। यह शरीर में पित्त की मात्रा को कम करके ऐसा कार्य करता है। कभी-कभार इसका इस्तेमाल करने से आपको इसके लाभ मिलता है। हालांकि, बार-बार इस स्‍नान से बचना चाह‍िए क्योंकि इससे शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी हो जाती है।
त्‍वचा होती है नम
इसके अलावा त्वचा पर तेल लगाने से न केवल आपकी त्वचा और शरीर को नमी मिलती है बल्कि पर्यावरण प्रदूषकों और विषाक्त पदार्थों से आपकी त्वचा भी साफ होती है और मृत त्वचा कोशिकाओं को भी हटा दिया जाता है। तिल का तेल त्वचा में गहराई से प्रवेश करता है (अन्य प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र के विपरीत) और ये आपकी नरम त्वचा में ग्‍लो बढ़ाता है।
तनाव से देता है राहत : यह रक्त के संचार को भी बढ़ाता है और गर्म तेल से सिर की मालिश करने से आपको तनाव से राहत मिलती है और आपका मन शांत होता है। अभ्यंग स्नान तंत्रिकाओं को उत्तेजित करता है जो तंत्रिका संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करता है। साथ ही, कोमल तेल मालिश मांसपेशियों को आराम देती है जिससे वे मजबूत होती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार नरक चतुर्दशी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। और इस प्रकार, सुबह-सुबह स्नान हमारे भीतर की बुराई के विनाश का प्रतीक है। यह भी माना जाता है कि चूंकि अभ्यंग स्नान सूर्योदय से पहले किया जाता है, इसलिए यह गंगा नदी में स्नान करने के समान पवित्र है। यहां बताया गया है कि अनुष्ठान कैसे करें –
ऐसे करें स्‍नान 
इस शुभ दिन (सूर्योदय से पहले बेहतर) पर सुबह जल्दी उठें तिल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करें। साथ ही तेल की कुछ बूंदों को स्कैल्प पर लगाएं। नहाने से पहले लगभग 30 मिनट पहले तेल लगा लें, ताक‍ि शरीर तेल को अवशोषित कर लें। नहाते समय उबटन या आयुर्वेदिक मिश्रण लगाकर पूरे शरीर पर अच्छी तरह मालिश करें। इसे अच्छे से स्क्रब करें और पानी से अच्छी तरह धो लें ताकि मिश्रण धुल जाए। अब, सामान्य साबुन का उपयोग करके स्नान करें (कुछ लोग इस चरण को छोड़ देते हैं)।

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