कोरोना को पीछे छोड़ तबाही मचाने आया यह जापानी वायरस, ऐसे बचे
कोलकाता टाइम्स :
कोरोना वायरस का संक्रमण अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है और इस बीच जापान के इंसेफेलाइटिस वायरस के मामले चिंता बढ़ा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में इंसेफेलाइटिस वायरस का मामला सामने आया है और 4 साल का एक बच्चा संक्रमित पाया गया है.
इंसेफेलाइटिस वायरस एक मच्छर जनित फ्लेवीवायरस है और यह मच्छरों के काटने से फैलता है. इस वजह से इंसेफेलाइटिस वायरस के संक्रमण का खतरा सभी उम्र के लोगों को होता है. यह डेंगू, येलो फीवर और वेस्ट नाइल वायरस के समान जीनस से संबंधित है.
इंसेफेलाइटिस वायरस का पहला मामला साल 1871 में जापान में सामने आया है. इस वजह से इसे जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस भी कहा जाता है. इंसेफेलाइटिस वायरस का संक्रमण दर काफी कम हैं, लेकिन इंसेफेलाइटिस से होने वाली मृत्यु दर करीब 30 प्रतिशत तक हो सकती है.
केंद्रीय रोग नियंत्रण विभाग के अनुसार, कई बार जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस के लक्षण नहीं दिखते हैं और ज्यादातर मामलों में शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आता है. इंसेफेलाइटिस वायरस के आम लक्षणों की बात करें तो इससे संक्रमित लोगों को बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव, न्यूरोलॉजिकल लक्षण, कमजोरी, मूवमेंट डिसऑर्डर और बच्चों में दौरे की समस्या नजर आ सकती सकती है.
जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित लोगों में न्यूरोलॉजी बीमारी विकसित होती है, लेकिन इसकी दर एक प्रतिशत से भी कम है. इस वायरस से संक्रमित 20 से 30 प्रतिशत लोगों की मौत हो सकती है.