मधुमेह रोगी भी हर रोज खा सकते हैं चावल, अगर पकायेंगे ऐसे
कोलकाता टाइम्स :
चावल खाना अधिकतर लोगों को पसंद होता है। बहुत से भारतीय घरों में चावल के बिना खाने की थाली पूरी ही नहीं होती। लेकिन चावल खाने से व्यक्ति को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। यह आपके शरीर का वजन बढ़ा सकते हैं या फिर डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति को भी इसे ना खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लोग इसे सही तरह से नहीं पकाते हैं, जिससे उसके न्यूट्रिशन तो निकल जाते हैं, लेकिन उसके हानिकारक तत्व आर्सेनिक शरीर में चला जाता है। इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि चावल को सही तरह से बनाया जाए। तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि साइंटिस्ट ने एक ऐसा तरीका निकाला है, जिसे अपनाकर आप चावल के हानिकारक तत्वों को बाहर निकालकर उसे पोषक तत्वों को बनाए रख सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं चावल पकाने के सही तरीके के बारे में- चावल पकाने का सही तरीका क्या है? साइंटिस्ट ने चावल पकाने के इस तरीके को पीबीए अर्थात् परबॉइलिंग विद अब्जॉर्प्शन मेथड नाम दिया है, जिसे शेफील्ड विश्वविद्यालय द्वारा खोजा गया है। साइंस ऑफ द टोटल इनवायरमेंट में प्रकाशित एक रिसर्च में इस पीबीए तरीके के बारे में बताया गया है। इस तरीके के अनुसार, पहले चावलों को प्री बॉयल करना चाहिए, जिसमें कि चावल बनाने से 5 मिनट पहले उबाला जाए। इससे आर्सेनिक हट जाता है। इसके बाद चावलों में पानी डालकर धीमी आंच पर पकाना चाहिए। जब चावल पानी अच्छी तरह से सोख ले तो गैस बंद कर देनी चाहिए। रिसर्च के अनुसार, अगर चावल को इस तरीके से पकाया जाता है, तो ब्राउन राइस से 50 प्रतिशत तक आर्सेनिक बाहर निकल सकता है, जबकि सफेद चावल से 74 प्रतिशत तक आर्सेनिक निकल सकता है
जानिए क्या है आर्सेनिक आर्सेनिक मिट्टी और पानी में पाया जा सकता है। अन्य खाद्य पदार्थों की अपेक्षा चावल में आर्सेनिक का स्तर काफी अधिक होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चावल की खेती में पानी का बहुत इस्तेमाल होता है। जिसके चलते आर्सेनिक के लिए चावल में शामिल हो जाना काफी आसान हो जाता है। यह एक ऐसा रसायन है, जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे आर्सेनिक खनिजों में मौजूद एक रसायन होता है। इसका उपयोग अक्सर कीटनाशकों के तौर पर किया जाता है। वहीं उल्टी, पेट दर्द, डायरिया या कैंसर आदि की वजह बन सकता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि चावल को कुछ इस तरह पकाना चाहिए कि उसका आर्सेनिक निकल जाए।
अगर घरों में पीबीए तकनीक को अपनाकर चावलों को पकाया जाता है, तो इससे ना केवल आर्सेनिक बाहर निकलता है और व्यक्ति कई गंभीर बीमारियों से खुद का बचाव कर पाता है। बल्कि इससे अन्य भी कई लाभ मिल सकते हैं।पीबीए तकनीक से चावल पकाने से उसमें मौजूद स्टार्च की मात्रा भी कम हो जाती है। जिसके कारण यह मधुमेह रोगियों को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। स्टार्च कम होने पर चावल खाने से ब्लड शुगर लेवल एकदम से नहीं बढ़ता है।
वहीं, अधिकतम स्टार्च निकल जाने से अपने वेट को लेकर कॉन्शियस रहने वाले लोग भी इसे आसानी से खा सकते हैं। जब आप इस तरीके से चावल को पकाते हैं तो फिर चावल खाने से आपका वजन नहीं बढ़ता है और आप अपने वजन को आसानी से कंट्रोल कर पाते हैं। हालांकि, चावल खाने के तुरंत बाद सोने से बचें। इस बीच कम से कम दो घंटे का गैप रखें और अगर संभव हो तो चावल खाने के बाद हल्की चहलकदमी भी करें।