छलका नसीरुद्दीन का दर्द, अपनी इस कमी के चलते खा गए थे
कोलकाता टाइम्स :
नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उनके अतिआत्मविश्वास ने उनके करियर को बढ़ने नहीं दिया। 70 के दशक में निशांत, मंथन और स्पर्श जैसी फिल्मों के साथ अपना अभिनय शुरू करने वाले नसीरुद्दीन शाह को हमेशा से ही एक दमदार अभिनेता माना है। चाहे कॉमेडी हो, ट्रैजेडी या रोमांस उन्होंने हर रोल में अपना सौ प्रतिशत दिया है।
एक बातचीत में नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “जब मैं 20 साल का था और मैं ड्रामा स्कूल में था, तब मैं अति आत्मविश्वास में था। मुझे लगा कि मैं अपने हमउम्रों से कहीं आगे हूं। मुझे हेमलेट के तौर पर कास्ट क्यों नहीं किया जा रहा? मैं यह कर सकता हूं, मैं इसे और बेहतर कर सकता हूं!’ मेरा यह रवैया था, जो फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले धीरे-धीरे गायब हो गया। जब मैंने एनएसडी में बिताए तीन सालों को देखता हूं, तो ये ही सोचता हूं।”
नसीरुद्दीन शाह ने 1971 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया और दिल्ली में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में भाग लिया, जहां वह अपने करीबी दोस्त दिवंगत अभिनेता ओम पुरी से मिले। नसीरुद्दीन शाह ने अपने क्लासमेट को “बहुत रॉ, नर्वस, शर्मीला, इंट्रोवर्ट और इनसिक्योर,” व्यक्ति के रूप में याद किया, जैसे कि वह थे।
“मैं एनएसडी में अकड़ के साथ आया था। मैं अलीगढ़ विश्वविद्यालय से था जहां मैं स्टेज का एक्टर था, लड़कियां मुझे जानती थीं। लेकिन जब हम दोनों एनएसडी खत्म कर रहे थे, तो अचानक मुझे हथौड़े की तरह लगा, ओम तीन साल में कितना बड़ा हो गया था, और मैं कहां था? जब मैं एनएसडी आया था तब भी मैं वहीं था। ‘जब मैं यहां आया तो मैं इस तरह का व्यवहार कर सकता था, तो मैंने क्या सीखा?’ यह एक बहुत ही परेशान करने वाला ख्याल था।
“इसके साथ ही था, ‘अब मैं क्या करने जा रहा हूं? मैं अपनी रोटी कहां से कमाऊंगा? ओम ने दिल्ली में रहने का फैसला किया, मैं फिल्म इंडस्ट्री में आ गया। तब मुझे फिल्मों में काम मिलना शुरू हुआ। लेकिन फिर मैंने ऐसा कभी फील नहीं किया। मुझे अब लगता है कि ऐसा कुछ नहीं जिसे क्रैक नहीं की जा सके।