November 23, 2024     Select Language
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आरटीआई से खुलाशा : सिर्फ एक साल में 21 सरकारी बैंकों को 25,775 करोड़ का चुना 

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न्यूज डेस्क  
फर्जीवाड़े के कारण देश के बैंकिंग क्षेत्र में वित्त वर्ष 2017-18 सरकारी क्षेत्र के 21 बैंकों को लगभग डुबो ही दिया है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी से खुलासा हुआ है कि बीते वित्त वर्ष में बैंकिंग धोखाधड़ी के अलग-अलग मामलों के कारण बैंकों को कुल मिलाकर लगभग 25,775 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा।

मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने आज बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक अ​धिकारी ने उन्हें यह जानकारी दी है। आरटीआई के तहत गौड़ को 15 मई को भेजे गए जवाब से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2017-18 में धोखाधड़ी के अलग-अलग मामलों से पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को सबसे ज्यादा 6461.13 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस उत्तर में बैंकिंग धोखाधड़ी के किसी भी मामले का विशिष्ट ब्योरा नहीं दिया गया है। बहरहाल, पीएनबी सार्वजनिक क्षेत्र में देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है और इन दिनों 13,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी के मामले से जूझ रहा है।

आरबीआई द्वारा आरटीआई के तहत दिए गए जवाब में यह नहीं बताया गया है कि बीते वित्त वर्ष में संबंधित बैंकों में धोखाधड़ी के कुल कितने सामने आए और इनकी प्रकृति किस तरह की थी। जवाब में यह भी साफ नहीं है कि इन मामलों में कर्ज संबंधी फर्जीवाड़ों के प्रकरण शामिल हैं या नहीं।
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में बैंकिग धोखाधड़ी के विभिन्न प्रकरणों के चलते कॉर्पोरेशन बैंक को 970.89 करोड़ रुपये, युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 880.53 करोड़ रुपये, ओरिएण्टल बैंक ऑफ कॉमर्स को 650.28 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक को 455.05 करोड़ रुपये, कैनरा बैंक को 190.77 करोड़ रुपये, पंजाब एंड सिंध बैंक को 90.01 करोड़ रुपये, देना बैंक को 89.25 करोड़ रुपये, विजया बैंक को 28.58 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक को 24.23 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।  

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