November 23, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

यह दिशा ऊंची है तो उस घर में रहेगा गरीबी और बीमारियों का डेरा

[kodex_post_like_buttons]
कोलकाता टाइम्स : 
वास्तुशास्त्र में पूर्व दिशा का बड़ा महत्व होता है। यह दिशा सबसे ज्यादा शुद्ध और दोष रहित होनी चाहिए। यदि पूर्वी दिशा में कोई दोष है या इस दिशा वाला मकान का भाग ऊंचा है तो उस घर में हमेशा गरीबी और रोगों का डेरा रहता है। इस दोष को दूर किया जाना अत्यंत आवश्यक होता है। पूर्व दिशा का स्वामी इंद्र, आयुध वज्र और प्रतिनिधि ग्रह सूर्य होता है।
पूर्वदिशा में कालपुरुष का मुख होता है। इसलिए यह स्थान शुद्ध होना आवश्यक है। पूर्व दिशा से जुड़े नियम मकान वही शुभ माना जाता है जिसमें पूर्व दिशा में द्वार या खिड़कियां हों। इनमें से सुबह सूर्य का प्रकाश प्रथम प्रहर तक घर में आना चाहिए। यह दिशा साफ-स्वच्छ होनी चाहिए। इस दिशा में टायलेट भूलकर भी न बनाएं।
घर की पूर्व दिशा वाला स्थान ऊंचा होने से मकान मालिक हमेशा दरिद्र ही बना रहता है। वह स्वयं भी रोगी होता है और उसकी संतान भी रोगी और मंदबुद्धि होती है। पूर्व में मुख्य भवन की अपेक्षा चबूतरे ऊंचे हों तो घर में अशांति बनी रहेगी। धन बहुत खर्च होगा और गृहस्वामी हमेशा कर्जदार बना रहेगा।
घर की पूर्वी दिशा में यदि खाली स्थान नहीं छोड़ा गया है तो उस घर में पुत्रसंतान की कमी रहती है या संतान विकलांग हो सकती है। पूर्वी भाग में कूड़ा-करकट, कचरा, गंदगी फैली हुई है तो धन और संतान की हानि होती है।
पूर्व मुखी मकान में यदि दो मंजिलें बनी हुई हैं और घर किराये से देना है तो मकान मालिक स्वयं ऊपरी मंजिल पर रहे और किरायेदार को निचली मंजिल दे।
दोष निवारण कैसे करें 
अब भवन तो बन गया और तोड़फोड़ करने की स्थिति भी नहीं है ऐसे में कुछ उपाय करके दोष दूर किए जा सकते हैं। पूर्व दिशा के दोष का निवारण करने के लिए घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें। सूर्य को नित्य अर्घ्य दें और सूर्योपासना करें। पूर्वी दरवाजे पर मंगलकारी वास्तु तोरण लगाएं। पूर्वी दरवाजे पर सूर्य की आकृति बनवाएं या लगवाएं।

Related Posts