अब राम मंदिर पर पाकिस्तान ने खत लिखकर यूएन से की शिकायत, कहा….
कोलकाता टाइम्स :
अब पाकिस्तान ने बाकायदा चिट्ठी लिखकर संयुक्त राष्ट्र में राम मंदिर और इसमें हो रही उत्सव की शिकायत की है. लेकिन इस खत के बाद संयुक्त राष्ट्र राम मंदिर के मामले में हस्तक्षेप करता है या नहीं अब यही देखना है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र के अपने नियम है किसी भी देश के मामले में हस्तखेप करने को लेकर। आइए इसके बारे में जानते हैं.
अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम इतना दिव्य और भव्य हुआ कि पाकिस्तान के दिलो-दिमाग में छाया हुआ है. भारत और भारतीयों की खुशी उसे फूटी आंख नहीं सुहा रही है. 500 साल बाद भारत और भारतीयों को अपने प्रभु को टेंट से मंदिर में लाने का मौका मिला. लेकिन पाकिस्तान को मिर्ची इतनी तेज लगी है कि उसका तीखापन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. मंदिर मस्जिद के नाम पर झगड़ा खत्म होने के दशकों बाद अयोध्या में गंगा-जमुनी तहजीब की धारा बह रही है. लेकिन पाकिस्तान के हलक के नीचे नहीं उतर रहा. प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में हिन्दुओं के साथ मुसलमानों ने भी हिस्सा लिया तो पाकिस्तान दोनों का मिलना मंजूर नहीं हुआ.
यूएन में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम पाकिस्तानी हुक्मरानों में शामिल वो शख्सियत है जो हमेशा हिन्दुस्तान के खिलाफ बोलने से नहीं थकते. वो शख्सियत जिन्हें भूख से मरती पाकिस्तानी जनता की गरीबी तो मंजूर है. लेकिन भारत के मामलों में दखल देने से खुद को रोक नहीं पाते. वो शख्सियत जिन्हें पाकिस्तान के विकास से कोई मतलब नहीं. लेकिन भारत को नसीहत देने में मजा आता है. अयोध्या में राम मंदिर बनने से ये इतने दुखी हैं कि संयुक्त राष्ट्र में बाकायदा चिट्ठी लिखकर उसकी शिकायत कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र को भेजी गई चिट्ठी में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने लिखा कि पाकिस्तान भारत के अयोध्या में ध्वस्त बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा की कड़े शब्दों में निंदा करता है. ये ट्रेंड भारतीय मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कल्याण के साथ-साथ क्षेत्र में सद्भाव और शांति के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है. भारत में इस्लाम से संबंधित विरासत स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने की तत्काल जरूरत है.
चिट्ठी में ये भी लिखा गया कि मामला बाबरी मस्जिद से भी आगे बढ़ चुका है. भारत में मौजूद अन्य मस्जिदों को भी इसी तरह के खतरों का सामना करना पड़ रहा है. अफसोस की बात ये है कि ये कोई अकेली घटना नहीं है. क्योंकि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद सहित अन्य मस्जिदों को भी अपमान और मिटाने के खतरों का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र किसी देश के मामले पर यूं ही दखल नहीं दे सकता है. यूएन चार्टर के आर्टिकल 2 (7) के मुताबिक, अगर किसी देश का कोई आंतरिक मामला है तो उसमें यूएन दखल नहीं दे सकता है.