November 23, 2024     Select Language
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50 रुपये लगाकर साइकिल पर अगरबत्ती बेच खड़ी कर दी 7000 करोड़ की कंपनी

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कोलकाता टाइम्स :

साइकिल प्योर अगरबत्ती, जो आज हर घर की पहचान बन चुका है, उसकी नींव एक ऐसे शख्स ने रखी, जिसके सिर से पिता का साया उस वक्त उठ गया था, जब वो मात्र 6 साल का था. साल 1912 में सामान्य परिवार में जन्मे एन रंगा राव के पिता टीचर थे. जब वो 6 साल के थे कि उनके पिता की मौत हो गई. घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई. पढ़ाई में मन लगता था, लेकिन पैसे नहीं थे. उन्होंने हार मानकर पढ़ाई छोड़ने के बजाए नया तरीका निकाला.

स्कूल के बाहर की बिस्किट बेचने लगे.  स्कूल शुरू होने से पहले गेट के बाहर बिस्किट बेचते थे. शाम को मिठाई के थोक विक्रेता से मिठाई खरीदकर थोड़े से मुनाफे पर उसे गांव और बाजार में बेचा करते थे. जो कमाई होती उससे घर और पढ़ाई का खर्चा उठाते थे.

कमाई बढ़ाने के लिए वो अपने से कम उम्र के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे. खुद के ट्यूशन के पैसे नहीं थे, इसलिए टीचर से वादा किया वो फीस के बदले उन्हें और बच्चों का दाखिला करवा कर देंगे. गांव के बुजुर्गों को अखबार पढ़ कर भी सुनाते थे, इन सबसे जो थोड़ी-बहुत कमाई होती उससे घर चल जाता.  साल 1930 में उनकी शादी सीता से हुई, जिसके बाद वो तमिलनाडु के अरुवंकाडु चले गए.

शादी के बाद उन्हें वहीं एक फैक्ट्री में क्लर्क की नौकरी मिल गई. यहां उन्होंने 1939 से 1944 तक काम किया, लेकिन उनका मन नहीं लग रहा था. साल 1948 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया और सिर्फ 50 रुपये से अपना कारोबार शुरू किया. अगरबत्ती बनाने के बारे में उन्हें बहुत पता नहीं था, इसलिए उन्होंने घूम घूम कर पहले ज्ञान हासिल किया और फिर छोटे से निवेश से काम शुरू कर दिया. खर्च बचाने के लिए साधारण पैकेजिंग रखी. खुद साइकिल से बाजार में अगरबत्ती बेचने जाते थे.

उन्होंने अपनी अगरबत्ती का नाम रखा ‘साइकिल’ रखा, क्योंकि उनका मानना था कि ये नाम बहुत ही कॉमन था, जिसे हर कोई समझ सकता था. वो खुद साइकिल से अगरबत्तियों का बंडल बेचने जाते थे इसलिए नाम भी साइकिल रखा.  1 आने में 25 अगरबत्तियों का पैकेट कुछ ही दिनों में लोगों को पसंद आने लगा.  कंपनी बढ़ने लगी तो रोजगार लके अवसर पैदा हुए. 1978 के बाद उन्होंने बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार पर रखना शुरू किया. साल 20225-06 में मशीनों से अगरबत्तियां बननी शुरू हो गई.

अगरबत्ती का कारोबार शुरू होने के बाद साल 2005-06 के बाद उन्होंने एनआर ग्रुप की नींव रखी. उनके सात बेटों ने भी कारोबार में हाथ बंटाना शुरू किया. साल 1978 तक वो कंपनी की कमान संभलाते रहे. 1980 में उनकी मौत के बाद कमान बेटों के हाथ में आ गई.आज कंपनी की कमान रंगा राव के परिवार की तीसरी पीढ़ी संभाल रही है. आज कंपनी का कारोबार  65 देशों में है. कंपनी का मार्केट वैल्यूएशन 7,000 करोड़ रुपये के पार जा चुका है. अमिताभ बच्चन, रमेश अरविंद और सौरभ गांगुली जैसे सेलेब्स कंपनी का विज्ञापन करते हैं.

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