ड्रैगन की धड़कन बंद होने को आयी जब मस्क-रामास्वामी ने नए डिपार्टमेंट के बने हेड
कोलकाता टाइम्स :
डोनाल्ड ट्रंप टेक्नोलॉजी की दुनिया में अरबपति एलन मस्क और भारतीय मूल के उद्यमी विवेक रामास्वामी की अध्यक्षता में एक नए डिपार्टमेंट की स्थापनी की बात सामने आ रही है. अगर ये होता है तो फिर सबसे बड़ा खतरा चीन के लिए होगा. क्योंकि फिर चीन को और ज्यादा कुशल अमेरिकी राजनीतिक सिस्टम के साथ मुकाबला करना पड़ेगा. यह बात कोई और नहीं बल्कि चीन सरकार के एक नीति सलाहकार ने यह टिप्पणी की.
चीन टॉप एकेडमिक और नीति सलाहकार झेंग योंगनियान के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान चीन के लिए सबसे बड़ा खतरा मस्क और रामास्वामी का डिपार्टमेंट होगा. हांगकांग के शेनझेन में चीनी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन झेंग ने शनिवार को इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स (आईआईए) की तरफ से आयोजित बाइचुआन फोरम में कहा,’एक ज्यादा कुशल अमेरिकी राजनीतिक सिस्टम चीन के मौजूदा सिस्टम पर भारी दबाव डालेगा. उन्होंने कहा कि यह दबाव ना सिर्फ चीन तक सीमित नहीं होगा बल्कि अन्य देशों, खासकर यूरोप तक को भी इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा है.’
ट्रंप ने मस्क और रामास्वामी को नए डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) का नेतृत्व करने के लिए नामित किया. दोनों ने पहले ही ‘हजारों नियमों’ को खत्म करने और सरकारी कार्यबल के आकार को कम करने की योजना बना ली है. झेंग ने कहा, ‘मध्यम से दीर्घ अवधि में चीन पर सबसे बड़ा दबाव अमेरिका के भीतर होने वाले बदलावों से आ सकता है.’ झेंग ने कहा कि ट्रंप अगर सरकार में सुधार की अपनी कोशिशों में कामयाब होते हैं तो अमेरिका ‘एक नया और ज्यादा ताकतवर सिस्टम तैयार करेगा.’ उन्होंने इसे अमेरिकी विशेषताओं वाले सरकारी पूंजीवाद का एक रूप बताया.
इसके अलावा हांगकांग मौजूद ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने रविवार को बताया कि उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा,’मुझे लगता है कि मस्क जैसे लोगों के ज़रिए जिन संस्थागत सुधारों को पहल दी गई है, हमें उन्हें कम नहीं आंकना चाहिए.’
चीन अगले साल 20 जनवरी से शुरू हो रहे ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए कई मोर्चों पर तैयारी कर रहा है, जिसमें अमेरिका को उसके 427 अरब डॉलर से ज्यादा के वार्षिक निर्यात पर 60 फीसद शुल्क बढ़ाने की धमकी भी शामिल है. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन के प्रति सख्त रुख अपनाया था. ट्रंप से ताइवान और दक्षिण चीन सागर समेत अलग-अलग वैश्विक मोर्चों पर बीजिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने की उम्मीद है.