इन सवालों को जरूर पूछे, हर शंका मिट जायगा !
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कोलकाता टाइम्स :
जितने भी धर्मग्रंथ हैं उनमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि भगवान की कृपा हमेशा उन भक्तों पर रही जिन्होंने भगवान को मन से पूजा, भगवान पर पूर्ण विश्वास किया. बावजूद इसके, लोग दिखावे की भक्ति में उलझ जाते हैं. जिस तरह एक मां बच्चे के मात्र रोने से ही उसकी जरूरत जान लेती है वैसे ही भगवान सच्चे मन की पुकार सुन लेते हैं. उन्हें किसी विधि-विधान की जरूरत नहीं है!
जो पूजा पद्धति बोझ लगे, समझ में नहीं आए, उसे अपनाने का कोई अर्थ नहीं है.
हां! अगर पूजा, अनुष्ठान, यज्ञ आदि से मन को प्रसन्नता मिल रही हो, शांति मिल रही हो तो अवश्य करें.