5 महीने बाद राज्यों में होगी कांग्रेस की अग्नि परक्षा, रोक पायेंगे वोटों का बंटवारा
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न्यूज ङेस्क
उपचुनाव के नतीजों ने लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों में एकजुट फ्रंट पेश करने वाली विपक्ष को तो फूल मार्क दे दिया लेकिन असली अग्नि परीक्षा में यानि 5 महीने बाद होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में विपक्ष कितना खरा उतरती है अभी देखना बाकि है।
खासतौर पर कांग्रेस की बात कहे तो इन तीनों राज्यों के चुनाव बहुत अहमियत रखते हैं क्योंकि इन तीनों राज्यों के चुनावों के नतीजे ही कांग्रेस के साथ-साथ पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की विपक्ष में चेहरे के तौर पर स्वीकार्यता बनाने में भूमिका अदा करेंगे। कांग्रेस के लिए ये तीनों राज्य इसलिए भी अहम हैं क्योंकि यहां पर कांग्रेस और भाजपा की सीधी लड़ाई है तथा कोई भी तीसरा बड़ा सियासी दल मैदान में नहीं है। भाजपा इन तीनों राज्यों की 65 लोकसभा सीटों में से 2014 में 62 सीटों पर चुनाव जीती थी।
हालांकि 2015 में मध्य प्रदेश की रतलाम सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को हरा दिया था और हाल ही में राजस्थान के अलवर और अजमेर उपचुनाव में भी कांग्रेस विजयी रही है लेकिन फिर भी भाजपा के पास इन तीनों राज्यों में 59 सीटें हैं। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि वह राज्यों में पार्टी संगठन को एकजुट रखने के साथ-साथ वोटों का बंटवारा न होने दे।