ईश्वर नहीं मां की गलतियों से पैदा होते है किन्नर
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कोलकाता टाइम्स
समय बदल रहा है। दकियानुशी मान्यताओं को छोड़ अब हम और हमारा समाज आगे बढ़ रहें है। खासकर समाज के उन इंसानों को अपना रहे हैं जो कभी समाज से बिछड़ गए थे। ईश्वर का श्राप मान जिन्हे हम अछूता बना रखा था। हम बात कर रहे हैं किन्नरों यानि ट्रांसजेंडरों की।
अब लोगों के मन में ये सवाल भी जरूर उठता है कि आखिर किन्नर पैदा कैसे हो जाते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसके कारण का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीनों में क्रोमोजन नंबर या इसकी आकृतियों में परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण किन्नर पैदा होते हैं। अगर शुरूआती महीनों में गर्भवती महिला को बुखार आ जाए और वह उसकी हैवी डोज ले , तो भी बच्चे के किन्नर बनने के चांसेज होते हैं। इसके लिए पेस्टीसाइड्स वाले फल खाने से भी ये चांसेस बढ़ जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि शुरूआती तीन महीनों में महिला को अपना ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।
बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा खुद न लें। कोई बीमारी है तो डॉक्टर से सलाह के बाद ही प्रेग्नेंसी प्लान करें। गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान बच्चे का लिंग निर्धारित होता है और ऐसे में इस दौरान ही किसी तरह के चोट, फिर हॉर्मोनल प्रॉब्लम की वजह से बच्चे में स्त्री या पुरूष के बजाय दोनों ही लिंगों के ऑर्गन्स और गुण आ जाते हैं। इसलिये गर्भावस्था के शुरुआत के 3 महीने बहुत ही ध्यान देने वाले होते हैं।
बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा खुद न लें। कोई बीमारी है तो डॉक्टर से सलाह के बाद ही प्रेग्नेंसी प्लान करें। गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान बच्चे का लिंग निर्धारित होता है और ऐसे में इस दौरान ही किसी तरह के चोट, फिर हॉर्मोनल प्रॉब्लम की वजह से बच्चे में स्त्री या पुरूष के बजाय दोनों ही लिंगों के ऑर्गन्स और गुण आ जाते हैं। इसलिये गर्भावस्था के शुरुआत के 3 महीने बहुत ही ध्यान देने वाले होते हैं।