31 गंभीर बीमारियों से जूझ सिर्फ 39 में बिलिन हो गये विश्व विजेता
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कोलकाता टाइम्स
विवेकानंद जब विश्व धर्म महासभा में भारत की तरफ से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने गए थे तो वहां के आयोजकों ने उन्हें परेशान करने के लिए उनके नाम के आगे शून्य लिख दिया था। जिसके बाद स्वामी विवेकानंद ने बिना घबराए स्टेज पर जाकर अपने भाषण की शुरूआत ही शून्य से कर डाली।
ऐसे निडर, महान विश्व विजेता की मौत के पीछे है दर्दभरी दास्तान। 4 जुलाई 1902 को विवेकानंद की मृत्यु हो गई थी। मशहूर बांग्ला लेखक मणिशंकर मुखर्जी की पुस्तक ‘द मॉन्क एज मैन’ में उनकी मृत्यु को लेकर बताया गया है कि मलेरिया, माइग्रेन, मधुमेह, निद्रा, यकृत, गुर्दे व दिल सहित 31 बीमारियों से जूझ रहे थें और यहीं बीमारियां उनकी मौत की वजह बनी थी।
सोचिये भारत को दुनिया के आंगन में गर्व से प्रतिष्ठित करनेवाला यह जोगी अपने अंदर कितने दर्द छुपाये बैठा था।