आतंक की जननी पाकिस्तान को 70 साल लग गए महिलाओं को आजादी देने में

पाकिस्तान सिर्फ आतंक फ़ैलाने के मामले में ही अव्वल नहीं है। महिलाओं के अधिकार छीनने उन्हें पीछे धकेलने के मामले में भी अव्वल है। वैसे तो लोकतंत्र में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार तो मिला हुआ है, लेकिन इस देश में एक ऐसा गांव है, जहां आज भी महिलाएं वोट नहीं डालती। वोट डालने पर महिलाओं को जमकर पीटते हैं यहां के पुरुष।
मोहरीपुर की एकमात्र महिला पार्षद इरशद बीबी भले ही चुनाव जीती हों, लेकिन वह भी आज तक मतदान के अधिकार का उपयोग नहीं कर पाई हैं। उनके पति जफर इकबाल कहते हैं, ‘हमारे बुजुर्गों ने यह नियम बनाया था और हम आज भी इसका पालन कर रहे हैं।’ वर्ष 2015 में स्थानीय चुनाव में फौजिया तालिब नाम की एकमात्र महिला वोटर थी, लेकिन बाद में उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया।
चुनाव प्रक्रिया में महिलाओं को शामिल करने के लिए पाकिस्तान चुनाव आयोग ने भी कई कदम उठाए हैं। आयोग ने प्रत्येक सीट पर कम से कम 10 फीसदी महिला मतदान को अनिवार्य कर दिया है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो उस सीट का चुनाव रद्द कर दिया जाएगा। वर्ष 2015 में भी स्थानीय चुनाव में महिलाओं को वोट देने से रोकने पर चुनाव को ही रद्द कर दिया था। इसी तरह 2013 के आम चुनावों में दो जिले के बुजुर्ग पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
पाकिस्तान में 2 करोड़ नए वोटर इस बार चुनावी प्रक्रिया में भाग लेंगे, इनमें में 91.30 लाख महिला वोटर हैं। 2013 के आम चुनावों में पुरुष वोटर महिलाओं की तुलना में 1.1 करोड़ ज्यादा थे।