चिकन के साथ भिंडी के स्वाद
सामग्री: तेल – 50 मिलीलीटर, भिंडी- 500 ग्राम, घी – 2 चम्मच, जीरा – 1 बड़ा चम्मच, दालचीनी छड़ी – 2, ब्लैक इलायची – 4 फली, काली मिर्च के टुकड़े 8 -10, प्याज – 240 ग्राम, अदरक पेस्ट – 1 चम्मच, लहसुन पेस्ट – 1 चम्मच, हरी मिर्च – 3 – 4, हल्दी – 1/2 चम्मच, धनिया पाऊडर – 2 चम्मच, टमाटर प्यूरी – 200 ग्राम, मटन – 600 ग्राम, पानी – 500 मिलीलीटर, लाल मिर्च – 1 चम्मच, नमक – 2 चम्मच, गरम मसाला – 1 चम्मच, धनिया- गार्निंशिंग के लिए।
विधि : एक बर्तन में 50 मिलीलीटर तेल गरम करें और 500 ग्राम भिंडी को भूनें और एक तरफ रख दें। एक कुकर में 2 चम्मच घी गरम करें और जीरा, दालचीनी, इलायची, काली मिर्च के टुकड़े डालकर भूनें। पारदर्शी होने तक 240 ग्राम प्याज डालें। फिर अदरक पेस्ट, लहसुन पेस्ट डालकर 2 – 3 मिनट के लिए पकाएं। अब 3 – 4 हरी मिर्च डालकर हिलाएं। हल्दी,धनिया डालें। फिर टमाटर प्यूरी डालकर 5-7 मिनट के लिए पकाएं। अब चिकेन डालें। 500 मिलीलीटर पानी,1 चम्मच लाल मिर्च, 2 चम्मच नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं। भिंडी डालें,कुकर का ढक्कन बंद करें और 2 सीटी लगवाएं।
ढक्कन खोलें और इसे अच्छी तरह मिलाएं। 1 चम्मच गरम मसाला डालें और 3 – 5 मिनट के लिए कुक करें। धनिए के साथ गार्निश करें। चावल के साथ गर्म परोसें।
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हिन्दु धर्म में हर भगवान अलग-अलग जानवरों की सवारी करते है। जैसे भगवान विष्णु का वाहन गरुड़, भगवान गणेश का वाहन मूषक तो मां दुर्गा का वाहन शेर है। क्या आपको पता है कि मां दुर्गा शेर की ही सवारी क्यों करती है? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि मां दुर्गा ने भगवान शिव को पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी।
कहा जाता है कि कई वर्षों तक तपस्या करने से मां सावंली हो गई। इस कठोर तपस्या के बाद शिव और पार्वती जी का विवाह हो गया। जिसके बाद उन्हें संतान के रूप में कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति हुई। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव से विवाह के बाद एक दिन जब शिव-पार्वती साथ बैठे थे तब भगवान शिव ने पार्वती से मजाक करते हुए काली कह दिया। जिसके बाद मां नाराज हो गई और वन में जाकर तपस्या करने लगी। एक दिन वन में एक भूखा-प्यासा शेर आ गया। उसने मां पार्वती को तपस्या करते देखा और वहीं बैठ गया।
कुछ समय बाद शिव जी ने मां की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गोरे होने का वर्दान दिया। जब मां ने आंख खोली तो देखा कि एक शेर उनके समक्ष बैठा हैं। पार्वती जी ने तब सोचा कि उनके साथ-साथ इस शेर ने भी कड़ी तपस्या की है। जिसके बाद मां ने उसे अपना वाहन बना लिया।