November 24, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

इंसानों ने ही 400 साल पहले गुमा दिया था इस मशहूर मंदिर को 

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स 

प्रसिद्ध और प्राचीन 12वीं शताब्दी के अंकोरवॉट मंदिर को चूना पत्थरों की लाखों विशाल चट्टानों से कुछ ही दशकों में बना लिया गया था। करीब डेढ़ टन से भी अधिक वजन वाली ये चट्टानें बहुत दूर से लाई जाती थीं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से इतनी विशाल चट्टानों को उस युग में मंदिर बनाने के लिए लाना उस युग के अनुसार असंभव लक्ष्य था लेकिन तत्कालीन हिंदू राजा ने इस मंदिर के लिए करीब स्थित माउंट कुलेन से चट्टानें लाने में भूमिगत नहरों की मदद ली। इन नहरों से नावों में लादकर ये चट्टानें पहुंचाई गई।

12वीं शताब्दी का ये प्राचीन मंदिर चूना पत्थर की 50 लाख से 100 लाख विशाल चट्टानों से बना है। भूगर्म शास्त्रियों के अनुसार इस विशाल और अद्भुत मंदिर को सिर्फ एक राजा के शासनकाल में तैयार कर लिया गया था। उस समय खमेर साम्राज्य दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे अधिक प्रभावशाली और समृद्ध था। उस समय खमेर साम्राज्य आधुनिक लाओस से लेकर थाईलैंड, वियतनाम, बर्मा और मलेशिया तक फैला हुआ था।

पुरातत्ववेत्ताओं ने अंकोरवॉट के सन् 1350 से अंकरोवॉट मंदिर के इतिहास के पन्नों से गुम हो जाने और आसपास घने जंगलों में खो जाने के कारणों पर काफी अध्ययन किए हैं लेकिन एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने इस पूरे क्षेत्र का उपग्रह चित्र लिया जिसमें पाया कि ये पूरा इलाका प्राचीन भूमिगत नहरों से जुड़ा हुआ है। संभवत: इसलिए हजारों किलोमीटर दूर से इन नहरों के जरिए कम से कम समय में चूना पत्थरों को मंदिर के निर्माण के लिए लाया जा सका होगा। समृद्ध खमेर साम्राज्य के लोग धान की खेती करते थे। उसके लिए वह इन्हीं नहरों का पानी इस्तेमाल करते थे। वह खेती को इस हद तक बढ़ावा देने लगे कि कुलेन पर्वत के पेड़ काटकर वहां भी धान बोने लगे। पहले ही कई युद्धों के बाद खमेर राज्य सिमटता जा रहा था लेकिन प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के बाद वह प्राकृतिक विनाश का भी शिकार बना और अंकोरवाट मंदिर कहीं खो गया जिसे बाद में घने जंगलों के बीच 16वीं शताब्दी में पुन: खोजा जा सका।

Related Posts

Leave a Reply